Book Title: Tulsi Prajna 1979 02
Author(s): Nathmal Tatia
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 14
________________ विद्वानों को सम्मतियाँ डा० नेमीचन्द जैन, सम्पादक 'तीर्थकर' इन्दौर (म०प्र०) 'तुलसी प्रशा' अच्छा निकल रहा है । उसका व्यक्तित्व और चरित्र अलग है। वह दूसरी तरह की भूख मिटाता है। उसका होना भी आवश्यक है। क्वालिटी की दृष्टि से सम्पादक गण बधाई के पात्र हैं। श्री कपूरचन्द जैन, प्रवक्ता के० के० जैन डिग्री कालेज, खतौली (उ० प्र०) 'तुलसी प्रज्ञा' का प्राप्त अंक देखकर प्रसन्नता हुई और यह जान कर और भी प्रसन्नता हुई कि अब यह पत्रिका मासिक से मासिक होने जा रही है । " ...."मैं आशा करता हूं कि यह पत्रिका समग्र जैन समाज की प्रतिनिधि स्तरीय पत्रिका होते हुए अपना उदाहरण आप होगी। - श्री कैलाशचन्द जैन 'मनीष', प्रवक्ता-दि० जैन कालेज बडौत 'तुलसी प्रज्ञा' आध्यात्मिक-ज्ञान, धर्म-दर्शन, संस्कृति के प्रकाश का भंडार है । भौतिक युग की चमक-दमक में आत्मिक चेतना धूमिल होती जा रही है, मानव-मन अशान्ति में डूबता जा रहा है । "तुलसी प्रज्ञा" में उच्चकोटि के विद्वानों के द्वारा हृदयग्राही, मानवीय, नैतिकता की शिक्षा देने वाले लेखों का महत्त्व स्वयं अभिव्यक्त है। "तुलसी प्रजा" धर्म-दर्शन, संस्कृति के छिपे हुए उपयोगी अध्यायों को प्रकट करने का प्रयास कर रही है। जैन दर्शन के अतिरिक्त अन्य धर्म-दर्शनों, प्राच्य इतिहास, संस्कृति एवं सभ्यता के तार्किक विवेचन के लेखों को स्थान देकर पत्रिका अपने उद्देश्य में अधिक सफलता प्राप्त कर सकेगी, जिससे इसका दृष्टिकोण और अधिक व्यापक होगा। श्री कुन्दनलाल जैन, प्रिसिपल, शिक्षा निदेशालय, दिल्ली प्रशासन आपका पत्र और पत्रिका दोनों प्राप्त किए । धन्यवाद । पत्रिका बड़ी सुन्दर साजसज्जा एवं टिकाऊ कागज से परिपूर्ण है। रूप-रंग शोध-पत्रिका जैसा ही प्रतीत होता है। चिन्तन-परक सामग्री का बाहुल्य है । मुनि श्री नथमल जी की ताकिक शैली एवं चिन्तन निश्चय ही अनुसन्धित्सुओं के लिए पूर्णतया उत्प्रेरक हैं ।

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