Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charita Mahakavyam_01
Author(s): Hemchandracharya, Charanvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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'खं" ( प्रास्ताविकेऽवलोकनीयम् )
आदि राम निषेकम करोंदा दिव्य यत्रा मा हरि २२ पाकवले त्याकामात यामाक रघुरा गिरिमुखादि ॥ २२शनासहमान: प्रबोधन के बिनहारतः परः ॥ अश्वापमिरे नायगरात के विकार पायाने अनेक मापयति श्रवण रिकामा क रित्र ॥०२० नरः कणीक मान्न शाम तिमदिनी॥२६ कुमांडलिकचे व मरदानामा निर्वादितया सगया नि २० एक वर्षमा एमा। आलि की विक्रम चक्रवाकवलज्ञान विश्वानुग्रहकान्या) विज्ञान सर्बल के दिमा शीतलतालका मि ममरतो महान कलाम हिनाविदावनदावे सम्पदिकलिमोदि वादा दिव्यवहार राज्य निर पत्रम७३ मा म मायमिति तत्सर्वाश्रीखंड विरदिनेमहाकाव्यं पर्वमा वि का पुरुष व निर्वाणः मार्गः॥ समाश्रखातिर विषधम् पर्वतायं ७ ॥ संगत १२ वर्ष वारनिम्लिखिने पुण्यायपरोपकाराय निश्वापितं मानी वापसी
अन्त्य
दिए।
[प्र.११
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Tar Funtion Inter श्री महोदय प्रि. प्रेस-भावनगर.
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