Book Title: Tirthankar 1977 11 12 Author(s): Nemichand Jain Publisher: Hira Bhaiyya Prakashan Indore View full book textPage 5
________________ बेन) पानी में मीन पियासी (जवाहरलाल मुणोत), 'यह महापुरुष होगा' (सौभाग्यमल संघवी), एक लोकगीतकार (बद्रीलाल जैन), कुछ घटनाएँ, कुछ यादें (चाँदमल मारू), उनके मार्ग पर चलें (बागमल जैन), जीवन ही बदल गया (नथमल सागरमल लुंकड़) श्रद्धाञ्जलि : काव्याञ्जलि ७३-९९ जीना जिसने सीखा, मरना वही सिखा सकता है (साध्वी प्रीतिसुधा), समन्वयवादी सन्त (आचार्य आनन्दऋषि), अनुसरण में सार्थकता (उपाध्याय विद्यानन्द मुनि), करुणा की साक्षात् मूर्ति (उपाध्याय अमर मुनि), जिनशासन के रत्न (अम्बालालजी म.), भव्यतम व्यक्तित्व (सौभाग्य मुनि 'कुमुद'), आत्मजागृति के उन्नायक (रत्न मुनि), जैन एकता के अग्रदूत (सुरेश मुनि), हार्दिक शुभकामनाएँ (ब. दा. जत्ती), महान् साधक और सन्त को श्रद्धांजलि (भैरोंसिंह शेखावत), समन्वय के प्रेरक (श्रेयांसप्रसाद जैन), हार्दिक प्रसन्नता (भागचन्द सोनी), श्रमणधारा के तेजस्वी साधक (मिश्रीलाल गंगवाल), मानव-सेवा के पथ पर समर्पित व्यक्तित्व (सुगनमल भंडारी), तेजस्वी पुण्यात्मा (बाबूलाल पाटोदी), अहिंसा-धर्म के महान् प्रचारक (डा. ज्योतिप्रसाद जैन), उच्चकोटि के व्याख्यानदाता (अचलसिंह), चौमुखी व्यक्तित्व के धनी (पारस जैन), लोकप्रिय क्रान्तिकारी मुनि (सौभाग्यमल जैन), पतितोद्धारक (भूरेलाल बया), शुभकामनाएँ और प्रणाम (द्वारका प्रसाद पाटोदिया), पतितों-दुखियारों के परमसखा (प्रतापसिंह बेद), वात्सल्य के प्रतीक (भगतराम जैन), जाज्वल्यमान नक्षत्र (सुन्दरलाल पटवा), एकता-संवेदना-करुणा की त्रिवेणी (चन्दनमल चाँद), मैत्री-भावना के महान् साधक (फतहसिंह जैन), लोकोपयोगी मार्गदर्शन (अभयराज नाहर), एक आलोक-पुंज (निर्मलकुमार लोढ़ा), आदर्श के अखंड स्रोत (अशोककुमार नवलखा), समर्पित जीवन के ज्वलन्त उदाहरण (एस. हस्तीमल जैन), आदर्श कर्मयोगी (कपूरचन्द सुराणा); वे थे ऐसे (मुनि रूपचन्द्र ‘रजत'), दिवाकरोऽयम् (श्रीधर शास्त्री), वन्दना (नानालाल जवरचन्द रूनवाल), उन जैसा कुछ तो करें (घेवरचन्द जैन), वह पिये संगठन के प्याले (मुनि भास्कर), आत्मज्ञान के अनुपम साधक (जितेन्द्र मुनि), अगर ठहर जाता थानक पर (गणेश मुनि शास्त्री), जैन दिवाकरोऽभूत् (सुभाष मुनि), तुभ्यं नमः (मुनि उदयचन्द), धण्णो य सो दिवायरो (उमेश मुनि अणु'), ज्ञान का प्रकाश मिला (मोतीलाल सुराना), महामनस्वी (श्रमण सूर्य श्री मिश्रीलाल महाराज), सुरज आज अस्त वे गयो (मनोहरलाल नागोरी), संघ-ऐक्य के अग्रदूत वे (विजयकुमार जैन), वास्तविकता राब को समझाई (ताराचन्द मेहता), पीड़ाएँ हो गयीं तिरोहित (निर्मल 'तेजस्वी'); जैन दिवाकर पंच-पंचाशिका- पचपनिका (मुनि घासीलाल महाराज) महामनस्वी साधक संत मुनि श्री चौथमलजी -उपाध्याय कस्तूरचन्द महाराज १०० एक संपूर्ण संत पुरुष -केवल मुनि 'सब को अपना मानो, अपने जैसा मानो' -अगरचन्द नाहटा १०१ चौ. ज. श. अंक m Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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