Book Title: Tirthankar 1977 11 12
Author(s): Nemichand Jain
Publisher: Hira Bhaiyya Prakashan Indore

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Page 4
________________ क्या | कहाँ प्रणाम, एक सूरज को -संपादकीय -आचार्य आनन्दऋषि -मुनि कन्हैयालाल 'कमल' -विपिन जारोली पारस-पुरुष जैन दिवाकरजी : एक पारस-पुरुष चौथमल : एक शब्दकथा जैन दिवाकर मुनिश्री चौथमलजी : संक्षिप्त जीवन-झांकी मुनिश्री चौथमल-साहित्य 'निर्ग्रन्थ-प्रवचन' के कुशल शिल्पी : मुनिश्री चौथमलजी जैन दिवाकर : एक विलक्षण व्यक्तित्व वन्दन, अभिनन्दन ! (कविता) प्रवचन-मणियाँ -डा. सागरमल जैन -देवेन्द्र मुनि शास्त्री -विपिन जारोली -मुनि चौथमल ३९-७२ अवदान मूर्तिमन्त अनेकान्त (पं. नाथूलाल शास्त्री), सत्यान्वेषी सन्त मुनिश्री चौथमलजी (दुर्गाशंकर त्रिवेदी), एक अलग शैली (सौभाग्य मुनि), एक निःस्पृह महापुरुष (फतेलाल संघवी), वे अक्षर पुरुष थे (पारसरानी मेहता), गागर में सागर वे (रंग मुनि), मुझे याद है (सौभाग्यमल कोचट्टा), युग का एक महान् चमत्कार (बापूलाल बोथरा), एक आस्था स्तम्भ (सुभाष मुनि), उनके आदर्शों को आत्मसात् करें (दिनेश मुनि), मुझे दीक्षा दीजिये (प्रताप मुनि), वाणी में गहन प्रभाव (महासती रामकुंवरजी), साहित्य की श्रीवृद्धि (विमल मुनि), अक्षर अध्यात्म (अशोक मुनि), जीवन की प्रमुख घटनाएँ (पं. मुनि हीरालालजी), प्यार ही प्यार-प्रीति ही प्रीति (कान्ति मुनि), परोपकारी प्रखर वक्ता (साध्वी मधुबाला), कर्तव्य में कठोर (सावी मदनकुंवर), उनकी पावन स्मृति (साध्वी विजयकुंवर), प्रेम के देवपुरुष (भगवती मुनि 'निर्मल'), विराट योगी (भुवनेश्वरी भंडारी), कान्तदर्शी जैन दिवाकर (फकीरचन्द मेहता), एक महान् सन्त (गुलाबचन्द भंडारी), वसुधा मेरा कुटुम्ब (हरबन्सलाल), विशाल वटवृक्ष (मंजुला तीर्थंकर : नव. दिस. १९७७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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