Book Title: Tattvarthvrutti
Author(s): Jinmati Mata
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 620
________________ ५२० गुण गुणनिर्जरा भागादि वर्षाप् असङ्गत्व सदभिधान सद्भावन असद्र्ध समाधिकरण सर्वप श्रसिद्धत्व ऋसुर -कुमार श्री ऐशान श्राकाश -प्रतिष्ठ आश्विन्य आमन्दन श्राक्रोश श्राचार्य -भक्ति आशा (विजय) प्रतिप श्रात्मप्रशंसा आत्मरक्ष श्रात्मस्थ आदाननिक्षेप श्रादाननिक्षेपणसमिति श्रादिश्य आदेय श्राय आनत श्रानयन नुपूर्वी श्रान्तमुहूर्त आभ्यन्तरोपाधि मार्गदर्शक : आना ष आ तार्थवृत्ति २१.३८ श्रावणु ९४५ श्रारम्भ ५/१५ आर्जव २५३ आ १०/६ आर्य ७११४ श्रालोकान्त ६।२५ आली कितपानभोजन ६१११८/८ आलोचना ७३२ श्रावश्यकारिवाि १/२६ । प्राविद्धकुलालचक्रवत् आचार्य श्री सुविधिसागर जी महाराज श्रसादन श्राव ४२८ ४११० : ४७ ५/१३५१६५१९:५११८ ६/११ ९३९;९/१५ ९।२४ ६१२४ ३।१ इन्द्र ९५६ आहारक इत्यरिकागमन १।११:२१४५; ६८८ ४:९/३७ -निरोध इन्द्रिय ( पञ्च ) -विषय इन्द्रियानिन्द्रियनिमित्त ईर्या पथ र्यासमिति ५/३६ ५१२४८ | ११ ६।२५ ૪]¥ ६/११ | उच्चैस् ९१५ उषास ईदा ७ ४ उत्तमचमा ४२५ उत्तमसंहनन ८|११ उत्तर उत्तरकुरु ४।१९ उत्पद्यन्ते ७१३१ उत्पाद ८/११ | उत्स ९/२७ उत्सर्पिणी ९।२६ | उदधिकुमार ९/२५ उद्योत ८११७१८१२४ । उन्मत्तवत् उ ४११९,४१३२ ૬]¢ ९१६ ९१२८; ९/३० ६/३६ १०/५ ७/४ ९१२२ ६।२४ १०/७ ६।१० ११४:६|२९|७ ९/१ २/३६२/४९. ७/२८ ४|४ ६।५ ४/२० १।१४ ९/५ ६४ ७४ १।१५ १२ ८११ ९/६ ९/२७ २/२६६१२६९/२० ३/३७. ५/२६ ५/३० ९/५. ३।२७ ४|१०० ५/२४८/११ १/३२.

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