Book Title: Tattvarthvrutti
Author(s): Jinmati Mata
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 628
________________ ५२८ योगकता योगविशेष योजन योजनशतसहस्रविष्कम्भ योजनसहलायाम योनि रक्ता रक्कीदा रजतमय रति रत्नप्रभा रम्यस्वर्ग रस रखन रसपरित्याग रखवत् रहोऽभ्याययान राक्षस रागवर्जन रुक्मि महत्व रूपवीवार रूपानुपात रूपिन् रून्यकूला रोग रोहित रोहितास्पा रोह लक्षण लक्ष्मी लब्धि लब्धिप्रत्यय लबोटाि लान्तव लाभ र ल तार्थवृत्त ६/२२ | लिङ्ग मार्गदर्शक २४ लेश्या ३।१७:३१२४ -विशुद्धि ३६ | लोक २०१५ लोकपाल ३३२ | लोकाकाश लोभ लोभप्रत्याख्यान ३२० : लौकान्तिक ३२० २।१२ ६०६ वध ३१ वनस्पति : ३|१० वनस्पत्यन्त ब २२०८/११ २१९ ९/२५ ५१२३ ७/२६ ४११ ७८ २।११ ५.३३ YIC ७/३१ १।२७५१५ ३/२० EJE ३१२० ३/२० | वर्णवत् वर्तना | व ५१२८६३५ भर वर्षभर पर्यंत वलयाकृति यहि बाह् वाक् (कर्म) वाग्गुमि याचना बात वायु बास्तु विकल्प विक्रिया २८ विशकरण कुमार ३२१९ विषगति २०१८ चिकित्सा २/४७ विजय 1 ३७ विजयादि [ वितर्क ४/१६ २४८११ | विदेह : आचार्य श्री सुधिर जी महाराज २६:४१९४० व *** १९७ ४१४:४१५ ५/१२ ८९ ७५ ४/२४;४१४६ ६/११ ७२५९/९ રાક २।२२ ४५ २/२०१८ ११ ५।२३ ५/२२ ३१२५ ३/२५ ३।११ ३८ ४/२५ ५।१६ ६।१ afr ६२५ ३।१ ४/१० ३।१३ ** ८६९४७ 312 ६।२७ १२१२५ २२८ ७/२३ ४/१९ ४२६६४३२ १९११४३ ३।३१: ३।३०

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