Book Title: Tattvarthvrutti
Author(s): Jinmati Mata
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 619
________________ अन्तराय अन्तगवास अन्तम हु अन्नपाननिरोध अन्यश्य (अनुप्रेक्षा ) अहसा अम्पट दिग् अश्व अर् रगतले पाला बन् अपरगा परराष श्रारा अपराजित गृहीतागमन अपान दर्शन अपायविचन प्रतिधान प्रतिपात श्रमत्यवेक्षिताप्रमार्जितादान वेदिताप्रमार्जितात्सर्ग अप्रोचार अप्रत्याख्यान अन नाति अभिनयशेष अभिमान अभियोग्य श्रभिपव अनजानोपयोग श्रननरक यमनोज अनन श्रनून ख प्रयोग नस्वार्थसूत्रस्थशब्दानामका रायनुक्रमः ६१२६६२७८४ अरनि ८१४९।१४ श्ररिष्ट १०।१ : अरुण ३१८१० श्ररूप ७२५ अर्जुनम अर्थ ९:७ ७१२३. अर्थमङ्कान्ति श्रर्पित ७?३ २०४४ २|१३ tela ३।२२ २३२२८४१३४०१ ८/१८ ده | १९६४ वाट ०२३४ अक्ट ७२४ अपस्थित ४/१ अनाय ८९ अविग्रह ११६ विनय तू अलानत् अलाभ अल्पयनिग्रह ५२२ श्रल्पारम्भ श्रवगाह ४११९ अवगाहन मार्गदर्शक :प्राचार्य श्री सुविधिसागर जी ५।१५ श्रवद्यदर्शन अभि ११९:१।२१ १२५: ११२०:१३१:८६८७ ९. ३६ अवधिfक्पव १९ । i श्रवभौदर्य अविश् २७ अविरति २।१२ अमीर (भक्ति) २१ अध्यय ४|४ ܪ अ ऋव्यायान अवत २।११ अशरण १९३० अशुचि ७/५ अशुभ 312. 312 ४. " पापाति अशुभतरवा यत ५१९ 4 ८१९:११२:९/१५ १२५ ४/२५ ५/४ ३११२ १११७ ९८४ ५/३२ SIRY १०१७ ९९९/१४ १८६११७१०१९ ૬. ५।१२:५।१८ १०१९ ७१२ ४/२० ९/१९ ६/१३ ३।२० ३।२८:४|१५:५४ १/१५ २१२७:२।२९ २७११ ६/१४९/३५ EIVE ५/३१ २/४९ नर५ ६/५ ९७ ९/७ ६/३६१२२ ३३ २/६ ५८५१०

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