Book Title: Tattvartha Sutra
Author(s): Akhileshmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 85
________________ तत्त्वार्थ-सूत्र नवमोऽध्यायः आस्त्रवनिरोधः संवरः ॥१॥ स गुप्ति-समिति-धर्मानुप्रेक्षा-परीषहजयचारित्रैः ॥२॥ तपसा निर्जरा च ॥३॥ सम्यग्योगनिग्रहो गुप्तिः ॥४॥ ईर्याभाषैषणादाननिक्षेपोत्सर्गाः समितयः ॥५॥ उत्तमः क्षमामार्दवार्जवशौचसत्यसंयमतपस्त्यागाकिञ्चन्यब्रह्मचर्याणि धर्मः ॥६॥ अनित्याशरणसंसारैकत्वान्यत्वा शुचित्वानवसंवरनिर्जरालोकबोधि दुर्लभधर्मस्वाख्यातत्वानुचिन्तनमनुप्रेक्षाः ।।७।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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