Book Title: Tattvartha Sutra
Author(s): Akhileshmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra
View full book text
________________
७८ ............
तत्त्वार्थ-सूत्र
त्रायस्त्रिंशत्सागरोपमाण्यायुष्कस्य ॥१८॥ अपरा द्वादशमुहूर्ता वेदनीयस्य ॥१९॥ नामगोत्रयोरष्टौ ॥२०॥ शेषाणामन्तर्मुहूर्तम् ॥२१॥ विपाकोऽनुभावः ॥२२॥ स यथानाम् ॥२३॥ ततश्च निर्जरा ॥२४॥ नामप्रत्ययाः सर्वतो योगविशेषात्सूक्ष्मैकक्षेत्रावगाढस्थिताः सर्वात्मप्रदेशेष्वनन्तानन्तप्रदेशाः ॥२५॥ सद्वेद्य-सम्यक्त्वहास्यरतिपुरुषवेद-शुभायुर्नामगोत्राणि पुण्यम् ॥२६॥
Jain Education International For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102