Book Title: Tattvarth Varttikam Part 02
Author(s): Akalankadev, Mahendrakumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 416
________________ नाग नैगम ५।२९ १२५ प ३२२९ ८।११ धन ७/२९ ८२८ तस्वार्थवार्तिके द्युति ४/२० | नव १११९,४१३१४।३२,८५ / नील ३२११ द्रव्य ११५११२६:५।२५।३८ | नवभेद २।२ नृलोक ४/१३ द्रव्याश्रय ५.४१ नवतिशतभाग ३२३२ नृस्थिति ३२३८ द्रव्येन्द्रिय २०१७ ४१२८ ११३३ द्रव्यलक्षण -कुमार ४।१० न्यास द्रव्यविशेष नाग्न्य ९।९,९/१५ न्यासापहार ७/२६ द्विचरम ४।२६ नाम १।५६।२२८५४८१६ द्वितीय ९/४२ ८।१९८२५ पङ्कप्रभा द्वितीयादि ४१३५ / नाम (प्रत्यय) ८२४ पञ्चेन्द्रिय २।१५ द्विपल्योपमस्थिति | नारक १२२१२।३४,२५०; पद्म २१४ द्वीन्द्र ४६ ३३४॥३५,८।१० पद्मलेश्या ૪૨૨ द्वीन्द्रियादि २।१४ नारकायुष् ६।१५ | पर २२३७२।३९,४।९६।९% द्वीप ४।२८ नारी ३२२० ९/२९,९/३८ -कुमार ४।१० | निःशल्य ७/१८ परघात -समुद्र निःशीलवतत्व ६।१९ परतःपरतः ४/३४ द्वेष | निक्षेप (चतुर्भेद) ६९ परत्व ५।२२ द्वयधिकादिगुण ५।३७ नित्य ३२३,५४५।३१ | परनिन्दा ६।२५ नित्यगति ४।१३ | परविवाहकरण ७२८ निदान ७३७,९/३३ परव्यपदेश ७.३६ धर्म ५।१५/८:५।१३,५।१७ निद्रा ८७ परस्थ ६।१३,९२,९६ | निद्रानिद्रा ८७ परस्परोग्रह ५।२१ धर्मास्तिकायाभाव निबन्ध श२६ परस्परोदीरितदुःख ३२४ धर्मोपदेश ९/२५ निरुपभोग २१४४ १६:४१३९८।१४ धर्मस्वाख्यातत्व | निर्गुण ५।४१ परावर २३८ ९/२८९३६ निर्ग्रन्थ ९/४६ परिगृहीतागमन ७२८ धातकीखण्ड निर्जरा १४४८/२३,९/३,९/७; परिग्रह ४/२१७/१७ धान्य ७१२९ १०२ | - -विरति ७१ धारण निर्जरार्थ ९८ परिणाम ३।३।५।२२,५।४२ धुम्रप्रभा ३११ निर्देश श परिवेदन ६।११ धृति ३११९ निर्माण ८/११ परिभोग (परिभाग) ७।२१ ध्यान ९२०९/२१९।२७ निर्वृति परिसोढव्य ध्रुव श१६ / निवर्तना (द्विभेद) परिहार ९।२२ ध्रौत्य ५।३० निषद्या ... ९/९,९।१५ विशुद्धि ९।१८ निषध ३२११ परीषह ९८ नक्षत्र ४/१२ निष्क्रिय ५।१९ -जय ३२२३ ११३२ परोक्ष १११ नपुंसक परोपरोधाकरण निसर्ग (त्रिभेद) २।५० ९/९ ७६ -वेद निव ८९ | पर्यन्त ६।१० नीचैर्गोत्र नय ५।३८ ६।२५ | पर्ययवत् ११६:११३३ नरक ३१२ नीचैर्वृत्ति ६।२६ । पर्याप्ति ८।११ नरकान्ता ३२२० | नीचैस् ८।१२ | पल्योपम ४/३३,४।३९ । परा धर्म्य ३१३३ १११५ २।१७ ९५८ नदी निसर्ग ४/३

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