Book Title: Tattvarth Varttikam Part 02
Author(s): Akalankadev, Mahendrakumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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मध्य
मैत्री
४८
मोक्ष
९२९
म्लेच्छ
८३०
तत्त्वार्थवार्तिके ३।९,३१७ | मेहनाभि
१९ | रुक्मि
३११ मनःपर्यय ११९,१।२३२५; | मेरुप्रदक्षिणा ४।१३
रूक्षत्व १२२८८६
७.११ रूपप्रवीचार
४८ मनःप्रवीचार
मैथुन
७/१६ रूपानुपात मनस्
११४,१०१२ रूपिन्
१।२७,५१५ मनस् (कर्म) | -मार्ग
रूप्यकूला
३२२० मनुष्य ३।३५,४२७
रोग
९९ मनुष्यादि २।२३ मोहक्षय १०११ रोहित्
श२० मनोगुप्ति
७४ मोहनीय ८१४,९१५ रोहितास्या
श२० मनोज्ञ ९।१४।९।३१ मौखर्य
७/३२
९/२८,९३५ मनोश इन्द्रियविषय ७८ | मन्द (भाव) ६६
लक्षण
२१८ मरण ५।२० यक्ष
४१११ लक्ष्मी
३२१९ मरणाशंसा ७१३७ यथाख्यात
९/१८ लब्धि
२।५,२।१८ मल
९.९ यथानाम
ટારર लन्धिप्रत्यय
२।४७ महत्
૭.૨ यहच्छोपलब्धि ११३२
लवणोदादि
२७ महातमःप्रभा
यशःकीर्ति
८११ लान्तव
४१९ महापद्म
२१४ याचना ९/९९/१५ । लाभ
२।४।८।१३ महापुण्डरीक
३३१४ योग ६।१६।८६।१२:८1१
२।६,१०६ महाशुक्र
४/१९ योगदुष्प्रणिधान
।६,४२,९४७ महाहिमवत् योगसङ्क्रान्ति
-विशुद्धि ४२० योगवक्रता
६।२२ | लोक मात्सर्य ६।१०७/३६
योगविशेष
૮૨૪ लोकपाल
४/४:४१५ माध्यस्थ्य
७११ योजन
२१७७३।२४ लोकाकाश
५।१२, मान योजनशतसहस्रविष्कम्भ ३९ होम
८९ मानुष
६।१७२८।१० योजनसहस्रायाम
२१५ लोभप्रत्याख्यान
७५ मानुषोत्तर
योनि
३३३२
लौकान्तिक ४२४४४२ माया
६१६८९ मारणान्तिकी
७.२२ रक्ता
२२०
६।११७।२५,९९ मार्गाच्यवन
९८ रक्तोदा.
श२० वनस्पति
२०१३ मार्गप्रभावना ६।२४
रजतमय
३३१२ वनस्पत्यन्त
१२२ मार्दव
रतिं माहेन्द्र
४।१९ रत्नप्रभा ३।१ वर्ण
२।२०८।११ मित्रानुराग
७१३७ रम्यकवर्ष ३१०
५।२३ मिथ्यात्व
रस श२०८।११ वर्तना
५।२२ मिथ्यादर्शन २०६८१ रसन
२२५ मिथ्योपदेश ७/२६ रसपरित्याग
९/१९ वर्षधर
श२५ मिश्र २।१२।३२ रसवत्
वर्षधर पर्वत
२११ मुक्त २।१० रहोऽभ्याख्यान ७॥२६ वलयाकृति
३२८ मूळ ७.१७ राक्षस
४/२५ . ३१३ रागवजन
५८ वाक्
५।१९
लेश्या
३१११ ४।११
९/y
महोरग
९/७
८९
वध
९।६
९/९
वर्य
४/५
वर्णवत्
८९
२०१९
वर्ष
५।२३
४।११ | पहि
मूल

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