Book Title: Tattvamrut Chetodutam Jambudwip Samas
Author(s): Jinshasan Aradhak Trust
Publisher: Jinshasan Aradhak Trust
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[७२ ] मियमहुरं अणवजं, कइया कजे वयं वइस्सामि । सोहिस्सामि य कइया, बायालीसेसणादोसे? ॥८॥ पडिलेहिय सुपमजिय, उवगरणायाणमोयणे कइया । सुनिरिक्खिय सुपमजिय, थंडिलखेलाइपरिडवणं? ॥९॥ मणवयकायाण कया, कुसलाण पवत्तणेण इयराण । संमं नियत्तणेणं, तिगुत्तिगुत्तो भविस्सामि ? ॥१०॥ विच्छिन्नविसयवंछो, देहविभूसाइवजिओ कइया । परिजुन्नमयलवत्थो, सामन्नगुणे धरिस्सामि ? ॥११॥ कइया कालविहाणं, काउं आयंबिलाइतवकम्मं ।
कयजोगो जुग्गसुयं, अंगोवंगं पहिस्सामि ? ॥१२॥ .. कइया पकप्पपणकप्प-कप्पयवहारजीयकप्पाई ।
छेयमुयं सुयमारं, विसुद्धसद्धो पहिस्सामि ? ॥१३ ।। सीलंगमंगसुभगो, अणंगभंगम्मि विहियसंसग्गो । चंगारंगरंगो, कया रमिस्सामि निस्संगो ? ॥१४॥ परमणपरिमुक्को, अत्तुकरिसम्मि विमुहपरिणामो । दसविसामायारी-पालणनिरओ कया होहं ? ॥१५॥ सहमाणो य परीसह-सिन्नं नीउच्चमज्झिमकुलेसुं । लद्धावलद्धवित्ती, अन्नायउंछं गवेसिस्सं? रागदोगविउत्ती, संजोपणविरहिओ कया कजे । पन्नगविलोवमाए, अँजिस्सं सम्ममुवउत्तो ? ॥१७॥

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