Book Title: Taranvani Samyakvichar Part 1
Author(s): Taranswami
Publisher: Taranswami

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Page 4
________________ ACMEER SE WW मेरे दो शब्द यह तारण वाणी जिसमें संत श्री तारण स्वामी रचित चौदह ग्रंथों के कुछ वह अंश जोकि तारण स्वामी के आध्यात्मिक विचारों को स्फुट करते हैं व उसके समर्थन करने वाले कुन्दकुन्दादि आचार्यों के प्रमाणों का संकलन किया गया है । यह संकलन उस समय किया गया था जब कि मैंने तपोभूमि १००८ श्री निश्रेय / - सेमरखेड़ी जी क्षेत्र पर वि० सं० २०१२ में चार माह का मौन पूर्वक एकांतवास किया था । ESRESARS CECE उस समय विचार आया कि कुछ ऐसे प्रमाण समाज के हाथों में पहुँचा हूँ जिनके द्वारा तारण समाज को यह बल मिले कि हमें जिस तारणपंथ धर्म के पथ पर श्री गुरुमहाराज ने लगाया है वह कितना परिमाजित जैनधर्म का वास्तविक रूप है और आगम प्रमाण, अनुमान प्रमाण तथा प्रत्यक्ष प्रमाण से अवाधित है । और जिस पर 1 चल कर केवल एक तारण समाज ही नहीं, मानव मात्र अपने कल्याण - पथ का पथिक बन सकता है । Jacks पाठक महानुभावों से मेरा अनुरोध है कि इसे निष्पक्ष भाव से हंसवृत्ति द्वारा अध्ययन करें और जहां कहीं जो त्रुटि रह गई हो उसे लक्ष्य में न लें 1 DEPARTE - ब्र० गुलाबचन्द्र । ९ बाट अब

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