Book Title: Tarangwati Katha
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 6
________________ Acharya hasarten Gym शुद्धिपत्रकम् पृष्ठम् ५।१ ५), पंक्ति ११ १३ ॥१॥ श्री: | पृष्टम् पंक्ति अशुद्ध शुद्ध नायनु संगताः नार्यनुमंगताः । ९।२ २ स्वर्ग नारी समानाऽऽभं स्वर्गनारोसमानाऽऽभं | ९| २ ३ गन्तु सौन्दय सौन्दर्य १०॥ २ १ चाह चाहमवतीयेच १०२ १४ समाकुष्टुं समाक्रष्टुं भनंगाबाणा अनंगबाणा १/२ | ६।१ अशुद्ध शुद्ध धर्म। श्री सालभनि सालभंजी अपेक्षिष्ट अपैक्षि च मशिक्षं मशिक्षे सखि भिः सखीभिः भूपर्ण भूषणं ताभिरस्वदेमद्भुतं रद्भुतमस्वदे स्वच्छया स्वेच्छया शरत्समा गते शरत्समागते सितीभत सितमत चिकीर्षुः १२ १ EEEEEEEEE दष्टु ७१ ९ वृन्दोषु नानुभृता शीला १२॥ १ ३ १२।१ १० १३।१४ वृन्देषु नानुभूता शिका श्रोतुं ८१७ श्रोतु ॥१ ॥ For Private And Personale Only

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