Book Title: Tarangwati Katha
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir
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Acharya Shri Kalumagmoun Granmands
पंक्ति
पृष्ठम् ११/१ ",
१०
州南洲開開開開開開開開開開
अशुद्ध कुर्वनया पृष्टतः कुर्वन्त्या सुभगं सरः
। पृष्ठम् ५६।
१ ५६। श ,,
"" ५७।१।
पंक्ति ८
२ ३ ६ १३
५५/ २ ५५११
ऽभिऐ
कारक शुमा भङ्गया
शुद्ध कुर्वन्ता
पृष्ठतः कुर्वन्ती सुभगं वरं ऽभीष्टे कारकम् शुभा मइया वरम् नोऽभीष्टे कारकम् माविङय
अशुद्ध शुद्ध युवती पावै युवतीपार्थे मृङ्गो
भङ्गो न्मुच्चैः न्युचैः तत्पृष्टे तत्पृष्ठे कणाम् कणान् प्रग्नभते प्रगल्भते समीरिता समीरितो मसाका: मस्तका अष्टास
अष्टन संस्थिताः
संस्थिता चेतः चेत प्रेक्षणे
प्रक्षते सत्
४१॥ २ ५५/
२ १ . ५५।२ ५६। १२
東南與東南東来就来素六六六六
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,
डमिटे कारक समावेश्य
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