Book Title: Tarangwati Katha Author(s): Ajitsagarsuri Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir View full book textPage 8
________________ ShriMahavir Jain ArachanaKendra Acharya:sha.KailassagarsunGvanmandir बद्ध पत्रकम् BAKKASEXXXXXXKAKKKKKK* पृष्ठम् पंक्ति अशुद्ध १९॥ १ ११ ऽहमितौ ऽहमितो १९। २ १ महयामास जुहावाशु २ लघुहस्त लघुहस्तः "१४ तथss तथाऽऽगन्तु " " व्याख्यान्ति स्यन्ति व्याख्यातास्ते चिकित्सकैः ___", ३ यदिः यदि " " "" ५ वचनानन्तरं पचनानन्तरं। " " ९ तंद्रालस्य तंद्राऽऽळस्य २२॥ २ १२ नूनम् नूनं २३॥ १ २० २ २ धारयते धारयते " " ११ वादिनी: वादिनी २३॥ २ १४ किचिद्भोज्यादिकं किंचिद्वक्त्यादिकं |, पंक्ति अशुद्ध १ गच्छेपु- पच्छेयु७ वृक्षो वृक्षौ १३ मित्त्राणि मित्राणि १४ सर्वाऽऽन्द सर्वाऽऽनन्द १ भवेद् स्याद्मव्यानां। ३ दयाप्रधानोऽनुप दयामयोऽप्रत्यु सद्य सद्यः बारिमिः वारिभिः , श्रद्दधाना-1 श्रद्दधानो जघन्य११ नव्योऽपेक्ष्यो नव्यपेक्ष्यो १ बच वचः । ३ जन्ममानव जन्म मानव XXXXXXXXXXXX********* ॥ २ ॥ For Private And Personlige OnlyPage Navigation
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