Book Title: Suttagame 02 Author(s): Fulchand Maharaj Publisher: Sutragam Prakashan Samiti View full book textPage 4
________________ समप्पणं जाण किवा मम स चवलया नट्ठा, जेसिमुवएसेण मज्संतकरणे संतिसंचारो हुभो, जाणमभुमचरित्तजोगेण संपदा इगयाबंधणुम्मूलणनिच्छयं पत्तो, जेसिं terrorisहमग्गो लहो, जेसिमपारअणुग्गहवच्छलुच्छाहarry a dreary पउत्ती जाया, जेसि णं धारणाववहाराणुसारं पयारणमिणं वट्ट, नेसिमज्झप्पसत्थाणुराइभप्पडिबद्ध विहारिक्कवइनिकामपरोवयारिसंतमुभयुद्धारगमहारिसिपवरथविरपयविभूसि यातमहावीरजङ्गणसंघाणुयाइगयसग्गपरमपुज्ज १०८ सिरिज मुणिफकीरचंद महारायाणं पुणीयसमरणे हिययविभत्तिपुस्वर्ग बारसुवंगचउछेयचउमूलावस्सयसंयमेयं सुत्तागमबीय मंसं समप्पिणोमि । पुण्फभिक्खूPage Navigation
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