Book Title: Suktavali yane Suktmuktavali Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 7
________________ ELEHE श्रा ग्रंथना धर्मवर्गमा नमि अने विनमी, केसीकुमार गणधर अने प्रदेशी राजा, विक्रम, अने शालिवाहनादिना मली ४७; तथा अर्थवर्गमां उत्तम कुमारनुं घणुं मनरंजन चरित्र, केवन्ना शेठ, सहस्त्रमल साधु, पुण्यसार कुमार, अने कालिकसूरी कसा विगेराना मली १४, तथा कामवर्गमां नंदीखेणमुनि, नीलडी उपर मोह पामी विषयनी प्रार्थना करनार महादेव, रथनेमी, अवगुणने ढांकनार श्रीकृष्ण, सुदर्शन शेव श्रने अजया राणी विगेरेना मली १३, श्रने मोदवर्गमां खंधकाचार्य तथा तेमना पांचसे शिष्य, दृढप्रहारी, कूरगमु साधु, मेतास्य मुनि, नरत चक्रवर्ति, अनाथी मुनि अने श्रेणिक राजा, नमी राजा, सनतकुमार चक्रवर्ति, वज्रखामी, संप्रति राजा विगेरेना मली १७ प्रबंधो यथावरूप दाखल करवामां आवेला . एकंदर १०२ प्रबंधनो या ग्रंथमा समावेश करवामां श्राव्यो . ___ आ ग्रंथ मनुष्यमात्रने अवश्य वाचवा, जणवा, तथा मनन करवा योग होवा उतां फक्त तेनुं मूलज उपाएबुं हतुं तेथी तेना वांचनार जणनारने तेनो नावार्थ पूरेपूरो नहीं समजावाने लीधे तथा तेमां आपेलां दृष्टांतिक पुरुषादिना प्रबंधो नहीं जाणवामां श्राववाथी तेनी खरी खूबीथी बीन माहितगार रहेq परतुं हतुं ते खोट पूरी पामवा माटे घणा वाचकवर्ग तरफथी अमोने नखामण थवाने लीधे तेनुं नाषान्तर अनुभवी थने वृद्धोक्य शान्ति सुधाकर प्रेसना मालीक मी. सांकलचंद महासुखराम पासे तैयार करावी सजानवर्गनी शोजामा वृद्धि करवा माटे प्रगट करवाने अमे शक्तिवान श्रया बीये. बाशा डे के था ग्रंथनो लाल सर्व श्री संघ स्त्री पुरुष ले अमोने कृतार्थ करशे. प्रसिक कर्त्ता. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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