Book Title: Suktavali yane Suktmuktavali Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 1
________________ पंमित श्री केसर विमल विरचित सूक्तावली याने सूक्तमुक्तावली जाषान्तर तथा अंतरगर्जित कथा सहित, जन समुदायने वांचवा जलवा माटे तैयार करावी प्रगट कर्त्ता श्रावक भीमसी माणेकनी वती शा. जाणजी माया. dj मांडवी साक गल्ली घर नं. २२५ - २३१. Jain Educationa International मुंबाइ कोलभाटलेन घर नं. २३ निर्णयसागर मुद्रालयमां बाळकृष्ण रामचंद्र घाणेकरे प्रसिद्ध कर्ताने माटे छापी. @ सवत् १९६७ ना पोस. सन १९११ जानेवारी. For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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