Book Title: Sukta Ratna Manjusha Part 11 Vairagyashatakadi
Author(s): Bhavyasundarvijay
Publisher: Shramanopasak Parivar

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Page 11
________________ ઇન્દ્રિયવિકારનિરોધકુલક - इन्द्रियविकारनिरोधकुलक - रज्जाइभोगतिसिया, अट्टवसट्टा पडंति तिरिएसु । जाइमएण मत्ता, किमिजाइं चेव पावंति ॥१०॥ कुलमत्ति सियालित्ते, उट्टाईजोणि जंति रूवमए । बलमत्ते वि पयंगा, बुद्धिमए कुक्कडा होति ॥१०१॥ रिद्धिमए साणाई, सोहग्गमएण सप्पकागाई । नाणमएण बइल्ला, हवंति मय अट्ठ अइदुट्ठा ॥१०२॥ कोहणसीला सीही, मायावी बगत्तणंमि वच्चंति । लोहिल्ल मूसगत्ते, एवं कसाएहिं भमडंति ॥१०३॥ माणसदंडेणं पुण, तंदुलमच्छा हवंति मणदुहा । सुयतित्तरलावाई, होउ वायाइ बझंति ॥१०४॥ काएण महामच्छा, मंजारा हवंति तह कूरा । तं तं कुणंति कम्मं, जेण पुणो जंति नरएसु ॥१०५॥ फासिंदियदोसेणं, वणसूयरत्तंमि जंति जीवा वि । जीहालोलुय वग्घा, घाणवसा सप्पजाईसुं ॥१०६॥ नयणिदिए पयंगा, हुंति मया पुण सवणदोसेणं । एए पंच वि निहणं, वच्चंति पंचिंदिएहिं पुणा ॥१०७॥ जत्थ य विसयविराओ, कसायचाओ गुणेसु अणुराओ । किरियासु अप्पमाओ, सो धम्मो सिवसुहो लोए ॥१०८॥

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