Book Title: Subhashit Sukt Ratnamala Sanskrit
Author(s): Charanvijay
Publisher: Chimanlal Nathalal Gandhi

View full book text
Previous | Next

Page 549
________________ 288 सुभाषितसूक्तरत्नमाला आदिनाथं महादेवं, सुपार्श्व विमलं जिनम् / मल्लिनाथं गुणोपेतं, धनुषां पञ्चविंशतिम् // 3 // अरनाथं महावीरं, सुमतिं च जगद्गुरुम् / श्रीपद्मप्रभनामानं, वासुपूज्यं सुरेनतम् // 4 // शीतलं शीतलं लोके, श्रेयांसं श्रेयसे सदा / कुन्थुनाथं च वामेयं, श्रीअभिनन्दनं विभुम् // 5 // जिनानां नामभिर्बद्धः, पञ्चषष्ठिसमुद्भवः / यंत्रोऽयं राजते यत्र, तत्र सौख्यं निरन्तरम् // 6 // यस्मिन् गृहे महाभक्त्या, यन्त्रोऽयं पूज्यते बुधैः / भूतप्रेतपिशाचाद्यैर्भयं तत्र न विद्यते // 7 // सकलगुणनिधानं यन्त्रमेनं विशुद्धं, हृदयकमलकोशे धीमतां ध्येयरूपम् / श्रीजयतिलकगुरु सूरिराजस्य शिष्यो वदति सुखनिधानं मोक्षलक्ष्मीनिवासम् // 8 // श्रीहेमचन्द्रसूरिप्रणीत चैत्यवन्दनम् / (8) नमस्तुभ्यं जगन्नाथ ! त्रैलोक्याम्भोजभास्कर ! / संसारमरूकल्पद्रो :, विश्वोद्धारणवान्धव ! // 1 // वन्दनीयो मुहतोऽयं, यत्र ते धर्म नन्मनः / / अपुनर्जन्मनो जन्म, दुःखच्छिद्विश्वजन्मिनाम् / / 2 / /

Loading...

Page Navigation
1 ... 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576