Book Title: Subhashit Sukt Ratnamala Sanskrit
Author(s): Charanvijay
Publisher: Chimanlal Nathalal Gandhi
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________________ चैत्यवंदनादि विमामः पुण्ये विधौ मां सुविधे ! विधेहि, कर्मानलः शीतल ! शीतलोऽस्तु / श्रेयांस में श्रेयसि धेहि चित्तं, __त्रिधास्तु पूजा त्वयि वासुपूज्य ! // 3 // कुरुष्व जीवं विमलामलं मे, कर्माण्यनन्तानि लुनीयनन्त ! / श्रीधर्म ! धर्मस्तव मां पुनातु, शान्ते ! भव त्वं दुरितोपशान्त्यै // 4 // दुष्कर्मकन्थामथनोस्तु कुन्थु-ररो हरत्वैनसि मे प्रवृत्तिम् / कल्याणवल्लीं वितनोतु मल्लिः, सत्यव्रतं यच्छतु सुव्रतो मे // 5 // नमिर्धमि रक्षतु मे भवोत्थां, लुनातु नेमिस्तु कषायवृक्षान् / मथ्नातु पाश्वौँ दुरिताध्विाधि, श्रीवीरनाथं शरणं प्रपद्ये // 6 // - संसारमार्गभ्रमणेन तप्तं, संभूय भूयस्तरपुण्यवृष्ट्या / पुष्णन्तु तेऽष्टापदपर्वतस्था, जिनाम्बुदाः श्रीभरताचिंता माम् // 7 // श्रीपञ्चषष्ठियन्त्रस्तोत्रं लिख्यते। आदौ नेमिजिनं नौमि, संभवं मुविधि तथा / धर्मनाथं महादेवं, शान्ति शान्तिकरं सदा // 1 // अनन्तं सुव्रतं भक्त्या, नमिनाथं जिनोत्तमम् / अजितं जितकन्दर्प, चन्द्रं चन्द्रसमप्रभम् // 2 //

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