Book Title: Subhashit Sukt Ratnamala Sanskrit
Author(s): Charanvijay
Publisher: Chimanlal Nathalal Gandhi
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________________ सुभाषितसूक्तरत्नमाला जिनाय ते जापकाय, तीर्णाय तारकाय च / . विमुक्ताय मोचकाय, नमो बुद्धाय बोधिने // 6 // . सर्वज्ञाय नमस्तुभ्यं, स्वामिने सर्वदर्शिने। सर्वातिशयपात्राय, कर्माष्टकनिषदिने // 7 // तुभ्यं क्षेत्राय पात्राय, तीर्थाय परमात्मने। स्याद्वादवादिने वीत-रागाय मुनये नमः // 8 // पूज्यानामपि पूज्याय, महयोपि महीयसे / आचार्याणामाचार्याय, ज्येष्ठानां ज्यायसे नमः // 9 // नमो विश्वभुवे तुभ्यं, योगिनाथाय योगिने / पावनाय पवित्रायाऽ-नुत्तरायोत्तराय च // 10 // . (10) श्रीमदर्हतः चैत्यवन्दनम् एकस्माद् रणरणकः, परस्माच न नैपुणम् / स्तोत्रे ते भव्यशक्तिभ्यां, चेतो दोलायते मम // 1 // तथापि त्वां यथाशक्ति, नाथ ! स्तुतिपथं नये / मशकोपि किमु व्योम, नोत्प्लवेत स्ववेगतः // 2 // कथं तवामितदातु-मितदाः स्वर्द्वमादयः। उपमामुपयान्तीति, नोपमेयोसि केनचित् // 3 // न प्रसीदसि कस्यापि, न ददासि किश्चन / तदप्याराध्यसे सर्वे-रहो ते रीतिरद्भुता // 4 // निर्ममोपि जगत्त्राता, निःसङ्गोपि जगत्प्रभुः / लोकोत्तरस्वरूपाय, निरूपाय नमोऽस्तु ते // 5 //

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