Book Title: Stotra Chintamanistatha Prakrit Stotra Prakash Author(s): Vijaypadmasuri Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha View full book textPage 9
________________ ॥ जीए इमे गंथा मुद्दाविया सा सिरिजइण गंथप्पयासयसहा ॥ सुग्गहियणामधिज्ज-जइणसासणगयणभाणुपरमपुज्जपुवायरियाइमहापुरिसप्पणीयदवाणुओगाईविविहपयत्थतत्तप्पयासगाउव्वपाईणनूयणग्गंथाणं नायव्वागरणाइगंथाणं च विणा मुल्लमप्पमुल्लिएण वा जइणाइभव्वजीवाणं लाहो दायव्वोत्ति इमाए सहाए अज्जावहि सवित्तिनायखंडणखज्ज-नायालोय-संबोहप्पयरण-सिरिसावयधम्मजागरिया-पट्टत्थण्णिय सिरिसिद्धचक्कपूया-भावणाकप्पलया-देसविरहजीवणाइ पहूओवओगिग्गंथे मुद्दाविऊणं पयासी ॥ तयणंतरम्मि समए विविहछंदोबद्ध-पसत्थपहुभत्तिभावपयत्थतत्तललियसिरिथुत्तचिंतामणि पागयथुत्तप्पयासक्खग्गंथा पत्थुयसहाकज्जवाहगमूलचंदप्पएसरदासेणं पयासिज्जंति ॥ गंथयारसिरिविजयपोम्मसूरिणा गंथजुयलप्पणयणकारणाइ सरूवं पत्थावणाए सवित्थरं पयंसियंति तत्तो विण्णेयं ॥ एयम्मि गंथजुयलमुद्दावणे ण कस्सवि अथ्थियसाहज्जति जुग्गमुल्लप्पयाणववत्था विहिया सहाइत्ति ॥ एयाइ अण्णाइपि गंथरयणाई “सिरिजइणग्गंथप्पयासगसहा. अमदावाद पांजरापओलिया णाणसाला. शा. मोतीलाल डंगरसी वखारिआ, इय स्थले मिलिम्संतित्ति निवेएइ. ॥ सारयाभुवण सिक्खगो मणसुहरामतणओ मंगलदासो ।Page Navigation
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