Book Title: Stotra Chintamanistatha Prakrit Stotra Prakash
Author(s): Vijaypadmasuri
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha

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Page 13
________________ सयप्पहूयग्गंथसंदभप्पणयणं काऊआणं चिहिया चिरस्सरणीया भव्वा साहिच्चसेवा ॥ अवियणण्ण पसत्थविविहतत्तस्थपयंसिणी भव्वदेसणाइसाहणगणबलाओ-ब्भेहिं अभक्स्वरसिउम्मग्गगामिगणणाईयनिवालाइजीवावि सद्धम्मपरायणा विहिया महोवयारकरणबद्धलक्खयाएति ॥ तह दळूणं तुम्हाणं सम्मइंसणचारित्तविसिटठदेसणापयाणभव्वत्तिप्पमुहप्पहाणगुणतई गुरुबंधुगीयत्थसिरोमणिसमणसंदोहसेहरपरमपुज्जसग्गुणरयणरयणायरपण्णासप्पवरसिरिगंभीरविजयगणीसरेहिं कारवित्ता णिहिलागमजोगुव्वहणाइविहाणं जहासुत्तं महप्पाईण जइणागमवायणस्थलवल्लहीउरम्मि भवयाणं महणीयपायारविंदाणं गयणरसंकससिप्पमियविकमनरवइसंबच्छरीयकत्तियमासासियसत्तमीए विइण्णं गणिपयं तहा तयद्दे चेव मग्गसीससुक्कतईयाए पण्णासपयंति ॥ तयणंतरं साहियवरिसचउक्के वइक्कते तेहिं चेव पुवणिद्दिक्खगणोसरेहिं भवईयदिक्खानिकेयणे सिरिभावनयरे वद्धिरसनिहाणिसीहिणीनाहसम्मियविक्कमसंवच्छरगयसुक्कमाससियपक्खपंचमीए दसवेयालियवित्तिप्पयासियभावायरियसमग्गणण्णियाणं तत्थ भवयाणं भवयाणं दिण्णं तवगच्छाहिवइभट्टारगायरियपयं ।। तुम्हे भगवंतो पुवहरसिरिदेववायगप्पणीयपंचविण्णाणाइसरुवप्पयासगसिरिनंदीसुत्तवुत्तरयणसागरमेरुप्पमुहविविहोवमपुज्जसिरिसंघभवण्णवतारगतित्थाइसुहखित्तभत्ति करीअ कुणेहाहुणावित्ति ॥ तहा तुम्हाणममोहुवएसेहिं देवगुरुधम्मरसियसंघवइसेठिवजमाणेकलाल मणसुहभाइ भगुभाप्पमुहप्पहृयभव्वजीवा रीछकपालणविसालचाउवण्णसंघसमेयाणंततित्थंगराइसमलं कियतित्थाहिरायसिरिसत्तंजयाइमहातित्थजत्तंजणसलायाइ पसत्थधम्मियखित्तेसुमणेगलक्खाइमाणदविणव्वयं करीअ कुणंतिवित्ति ॥ तहा तुम्हेहिं भगवंतेहि अम्हारिसाणम

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