Book Title: Sramana 2009 01
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 54
________________ पार्श्वचन्द्रगच्छ का संक्षिप्त इतिहास वर्तमान में इस गच्छ के नायक मुनि मुक्तिचन्द्रजी हैं। इनकी निश्रा में ८ साधु और ६२ साध्विायाँ हैं, जो राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में विचरण कर रही हैं। संदर्भ : १. मोहनलाल दलीचंद देसाई, जैनगूर्जरकविओ, भाग १, १७. मुनि कल्याणविजयगणि, संपा० पट्टावलीपरागसंग्रह, नवीन संस्करण, बम्बई १९८६ ई०, पृ० २८८-३०५. कल्याणविजय शास्त्रसंग्रह समिति, जालोर १९६६ ई०स०, २. वही, पृ० ३४३-३५०. पृ० २२८-२९. ३. वही, पृ० ३४३-३५०. १८. वही, पृ० २३०. ४. वही, पृ० ३२१-३३३. १९. जैनगुर्जर कविओं, प्रथम संस्करण, भाग २, पृ०७५७५. वही, भाग २, पृ० १९२-९३. ६४. ६. वही, पृ० १९४-९७.. २०. द्रष्टव्य, सारस्वतव्याकरणदीपिका की प्रशस्ति ७. वही, पृ० २९३-९७. A.P. Shah, Ibid, Part II, No.5974, Pp. 376८. वही, पृ० २९३-९७. 77. ९. वही, पृ० २८६-८७. २०अ. द्रष्टव्य, संदर्भ क्रमांक ४. १०. वही, भाग ३, पृ० ८१-८३. २१. देसाई, पूर्वोक्त, भाग ४, पृ० ३१०-११. ११. वही, पृष्ठ ४-८. २२. अगरचंद भंवरलाल नाहटा, संपा० १२. वही, पृष्ठ ४-८. बीकानेरजैनलेखसंग्रह, कलकत्ता १९५६ ई०स०, १३. वही, भाग ४, पृ० ४२४ लेखांक २०१६, २०१७. १४. वही, पृ० ४२८-३०. २३. देसाई, पूर्वोक्त, भाग ६, पृ० ४१५. 15. A.P. Shah, Catalogue of Sankrit & Prakrit २४. नाहटा, पूर्वोक्त, लेखांक २०१३. Mss : Muniraja Shree Punya Vijayaji's २५. वही, लेखांक २०१९. Collection, Vol. III, L.D. Series No. 15, २६. देसाई, पूर्वोक्त, भाग ५, पृष्ठ ३७२. Ahmedabad 1968 A.D. No. 6713, p. 429. २७. नाहटा, पूर्वोक्त, लेखांक २०१२. १६. मुनि जिनविजय,संपा, विविधगच्छीयपट्टावलीसंग्रह, २८. देसाई, पूर्वोक्त, भाग ६, पृ० ३५८-५९. सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ५३, बम्बई १९६८ ई०, २९. बाबू लाल जैन 'उज्जवल' संपा० समग्र जैन चातुर्मास 'नागपुरीयतपागच्छपट्टावली" पृ०४८-५२. सूची-१९९५, बम्बई १९९५ ई०स०, पृष्ठ २८५-८७.

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