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श्रमण, वर्ष ६०, अंक १ जनवरी-मार्च २००९
पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्राङ्गण में
खरतरगच्छ की साध्वीत्रय का अध्ययनार्थ पार्श्वनाथ एवं साध्वीश्री स्थितप्रज्ञा जी म.सा० डॉ० सागरमल जैन के विद्यापीठ में आगमन
निर्देशन में जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय, लाडनूं द्वारा पार्श्वनाथ विद्यापीठ एवं जैन समाज वाराणसी के लिए पी-एच० डी० की उपाधि से विभूषित हैं। साध्वी संवेगप्रज्ञा यह हर्ष का विषय है कि खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जी म.सा. ने भी डॉ. जैन के निर्देशन में ही अपना शोधजिनकैलाश सूरीश्वरजी म.सा. की आज्ञानुवर्तिनी आगमज्योति प्रबन्ध परीक्षार्थ विश्वविद्यालय में प्रस्तुत किया है। आशु कवियित्री प्रवर्तिनी गुरुवर्या श्री सज्जन श्री जी म.सा० सम्प्रति डॉ. साध्वी सौम्यगुणा श्री जी म.सा. 'जैन की शिष्या सज्जनमणि श्री शशिप्रभा श्री जी म.सा. की विधि-विधानों का तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक अध्ययन' निश्रावर्तिनी साध्वी सौम्यगुणा श्री जी म० सा०, साध्वी विषय पर डी०लिट कर रही हैं। आप सभी विदुषी साध्वियों स्थितप्रज्ञा श्री जी म.सा. तथा संवेगप्रज्ञा श्री जी म.सा. के आगमन से पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार गौरवान्वित है। अध्ययनार्थ टाटानगर से चातुर्मास पूर्ण कर पार्श्वनाथ विद्यापीठ २००९ का चातुर्मास अध्ययनार्थ साध्वी श्री पार्श्वनाथ में पधारी हैं। ज्ञातव्य है कि साध्वीद्वय सौम्यगुणा जी म०सा० विद्यापीठ में ही करेंगी।