Book Title: Sramana 1992 01 Author(s): Ashok Kumar Singh Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi View full book textPage 2
________________ प्रधान संपादक प्रो० सागरमल जैन सम्पादक डॉ. अशोक कुमार सिंह वर्ष ४३ जनवरी-मार्च १९९२ सह सम्पादक डॉ० शिव प्रसाद अंक १-३ १ प्रस्तुत अंक में १. मूल्य और मूल्यबोध की सापेक्षता का सिद्धान्त ....-प्रो० सागरमल जैन २. गुणस्थान सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास ---प्रो० सागरमल जैन ३. चन्द्र कवेध्यक (प्रकीर्णक) एक आलोचनात्मक परिचय - श्री सुरेश सिसोदिया ४. श्रमण एवं ब्राह्मण परम्परा में परमेष्ठी पद - साध्वी (डा०) सुरेखा श्री ५ ऋषिभाषित का सामाजिक दर्शन - साध्वी (डा०) प्रमोद कुमारी ६. पर्यावरण एवं अहिंसा -डॉ० डी० आर० भण्डारी ७. स्याद्वाद एवं शू यवाद की ममन्वयात्मक दृष्टि -डॉ० (कु०) रत्ना श्रीवास्तव ८ युगपुरुष आचार्य सम्राट आनन्द ऋषि जी म० -उपाचार्य देवेन्द्र मुनि ९. पार्श्वनाथ शोधपीठ के प्रांगण में १०: जैन जगत् ११ साहित्य सत्कार ९१ १०३ १०७ १०९ ११५ वार्षिक शुल्क चालीस रुपये एक प्रति दस रुपये यह आवश्यक नहीं कि लेखक के विचारों से सम्पादक अथवा संस्थान सहमत हो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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