Book Title: Soya Man Jag Jaye
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 210
________________ सूक्ष्म शरीर और पुनर्जन्म 209 ___ इस चर्चा के संदर्भ में यह बहुत स्पष्ट हो गया है कि हमें सुन्दर किसको बनाना है? अधिक सम्हाल किसकी करनी है? हमें जागरूक रहना है सूक्ष्म शरीर के प्रति, न कि स्थूल शरीर के प्रति। भगवान् महावीर की साधना का सूत्र है—'वौसठ्ठचत्तदेहे' शरीर का उत्सर्जन, विसर्जन। शरीर के उत्सर्जन का यह अर्थ है—शरीर के परिकर्म या साज-सज्जा के प्रति उदासीन होना। उसमें रस न लेना। अधिक समय न लगाना। यदि सारा ध्यान स्थूल के प्रति लगा रहा तो सूक्ष्मतर शरीर भद्दा हो जाएगा। यदि स्थूल के प्रति अति ममत्व नहीं रहा तो सूक्ष्म अच्छा होता चला जाएगा। सूक्ष्म शरीर सबका नियंता है। __ अनेक व्यक्ति कहते हैं कि ध्यान पद्धति या साधना पद्धति बेचारे शरीर को सताने की पद्धति है। जब कोई व्यक्ति स्थूल शरीर की भूमिका पर खड़ा होकर सोचता है, बोलता है तो वह यही बात कहेगा, सोचेगा। यदि कोई सूक्ष्म शरीर की भूमिका से देखेगा तो ऐसा लगेगा कि स्थूल शरीर को प्रकंपित किए बिना सूक्ष्म शरीर प्रकंपित नहीं होता। दूसरे शब्दों में, यदि संस्कारों का उन्मूलन करना है, उनकी निर्जरा करनी है तो स्थूल शरीर को धुनना होगा। स्थूल शरीर का प्रकंपन सूक्ष्म शरीर को प्रकंपित करता है। आचारांग सूत्र का वाक्य है— 'धुणे कम्मसरीरगं'–साधक! तू कर्मशरीर को धुन, प्रकंपित कर। उस पर जो बुरे संस्कार या कर्म-परमाणु हैं उनको धुन कर नष्ट कर दे। उनकी जितनी-जितनी निर्जरा होगी, स्थूल शरीर भी उतना ही अच्छा बनता चला जाएगा। ' व्यक्ति की आकृति आकृष्ट नहीं करती। आकृष्ट करता है आभामंडल। जिसका आभामंडल जितना निर्मल, स्वच्छ और पवित्र होगा, उतना ही वह आकर्षण का केन्द्र बनेगा। तपस्वी व्यक्ति शरीर से हाड-मांस का ढांचा मात्र रह जाता है। उसकी नसें उभरी हुई बाहर दीखने लगती हैं। तपस्या के कारण उसका शारीरिक सौन्दर्य नष्ट हो जाता है, पर उसका आभामंडल इतना तेज होता है कि बड़े से बड़ा आदमी भी अपने आपको उसके समक्ष छोटा महसूस करता है। जब-जब मैं महात्मा गांधी का फोटो देखता हूं तो मेरे मन में प्रश्न होता है कि क्या यही व्यक्ति था जिसके पीछे सारा भारत लगा हुआ था? गांधी की आकृति इतनी सुन्दर या मनमोहक या आकर्षक नहीं थी, किन्तु आभामंडल इतना तेजस्वी और शक्तिशाली था कि पंडित नेहरू जैसे पदार्थवादी सभ्यता के अग्रणी व्यक्ति भी उनके व्यक्तित्व के प्रति पूर्ण समर्पित थे। नेहरू सविधावादी और सौन्दर्यवादी थे. पर वे भी गांधी के इंगित पर चलने को अपना गौरव मानते थे। इसका कारण क्या था? इसका कारण गांधी के स्थूल शरीर में नहीं खोजा जा सकता। इसका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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