Book Title: Soya Man Jag Jaye
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 225
________________ 224 सोया मन जग जाए सोमिल उधर से गुजरा। उसने मुनि को पहचाना और मन ही मन सोचा, अरे! यह मेरी लड़की को विवाह से पूर्व ही छोड़कर साधु बन गया । मुझे पता तक नहीं चला। अब रही इसकी बात । वह क्रोधाविष्ट हो अनर्थ चिन्तन में लग गया। भयंकर क्रोध। विवेक चेतना लुप्त । उसने इधर-उधर देखा । गीली मिट्टी लाकर मुनि के सिर पर पाल बांधी और एक सद्यस्क जल रहे मुर्दे के अंगार लाकर उस पाल के बीच सिर पर रख दिए । ताप से खोपड़ी जलने लगी। जैसे खदबद-खदबद खीचड़ी सीझती है, वैसे ही राजकुमार का कोमल सिर सीझने लगा। अपार वेदना, पर धैर्य अविचल । मुनि ने सोचा, निर्ममत्व और भेद-विज्ञान का प्रयोग किया। 'यह शरीर मेरा नहीं है । मैं शरीर नहीं हूं। मैं आत्मा हूं। आत्मा शरीर से भिन्न है । कष्ट शरीर को होता है, आत्मा को नहीं ।' वे आत्मा में इतने लीन हो गए कि अन्यर्यात्रा प्रारंभ हो गई । इतनी गहरी अन्यर्यात्रा कि सारी चेतना सुषुम्ना में सिमट गई । वे शरीर से हटकर भीतर चले गए, लीन बन गए। विज्ञान मानता है कि शरीर में 'इन्डोफिन' नाम का रसायन पैदा होता है । वह पीड़ा को कम कर देता है । वह पीड़ा शामक होता है। पीड़ा की अनुभूति तब होती है जब ज्ञानतंतु मस्तिष्क तक संदेश ले जाते हैं ? जब ज्ञानतंतु बीच में रह जाते हैं तब संदेश मस्तिष्क तक नहीं पहुंचता और तब पीड़ा का अनुभव नहीं होता। गजसुकुमाल का सिर जल रहा है, पर वे अडिग खड़े हैं। न संयम टूटा और न अहिंसा। न द्वेष जागा और न घृणा जागी । अध्यवसायों की परम निर्मलता के साथ वे आगे बढ़े, केवली हुए और मुक्त हो गए । निर्जीव शरीर लुढ़क कर भूमि पर गिर पड़ा। अहिंसा सधती है कष्ट - ट - सहिष्णुता से । जो कष्ट सहना नहीं जाना, वह अहिंसक नहीं हो सकता । वह कायर होता है । कायर कभी अहिंसक नहीं हो सकता। लोग कह देते हैं कि अहिंसावादी बुजदिल और कायर होता है । यह झूठ है । अहिंसक कभी कायर नहीं हो सकता । अहिंसक वह होता जो उत्कृष्ट - पराक्रमी हो। सैनिक पराक्रमी नहीं होता । वह मरता जरूर है, पर मरने से घबराता है । यदि वह मरने से नहीं घबराता है तो फिर शस्त्र क्यों रखता है ? दूसरों को क्यों मारता है । वह अपने को बचाने के लिए दूसरों को मारता है 1 यह कायरता का चिह्न है। अहिंसक इतना पराक्रमी होता है कि वह किसी को मारना नहीं चाहता। स्वयं मर जाता है, पर जो कुछ आता है उसे झेलता जाता है । महान् पराक्रम है अहिंसा । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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