Book Title: Soya Man Jag Jaye
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 217
________________ 216 सोया मन जग जाए मौत, अकाल मौत। ___ ध्यान प्राणशक्ति को बचाने का प्रयोग है। तीन गुप्तियों का प्रयोग प्राणशक्ति के संरक्षण का प्रयोग है। कायोत्सर्ग का प्रयोग कायगुप्ति का प्रयोग है। इससे नए जीवन का अनुभव होता है, क्योंकि इससे प्राणशक्ति संचित होती है। उसका अनावश्यक व्यय बच जाता है। वाग्गुप्ति से स्वरयंत्र निष्क्रिय होता है। उससे विकल्प शांत होते हैं। मन भाषा पर निर्भर है। भाषा शांत, वाणी शांत तो मन भी शांत हो जाता है। मन को रा मेटीरियल भाषा से ही मिलता है। जब भाषा शांत है, तो रा मेटीरियल की सप्लाई बंद हो जाती है और तब बेचारा मन विश्रान्त होकर शांत हो जाता है। जब वाणी शांत है तो न स्मृति हो सकती है, न कल्पना और न चिन्तन। स्मृति, कल्पना और चिन्तन का आधार है शब्द, भाषा। शब्द के बिना तीनों निष्क्रिय हैं। यदि साधक एक घंटा कायगुप्ति, एक घंटा वाग्गुप्ति और एक घंटा मनोगुप्ति की साधना करता है तो वह प्राणशक्ति के भंडार को भरता है। प्राणशक्ति अनायास ही संचित हो जाती है। प्राणशक्ति का सहायक केन्द्र है—पर्याप्ति। यह प्राण के आकर्षण और संग्रहण का केन्द्र है। शरीर में ऐसे केन्द्र बने हुए हैं जहां प्राण का आकर्षण होता है। प्राण सारे लोक में व्याप्त है। पर्याप्ति प्राण का आकर्षण करती है। पर्याप्तियां छह हैं, प्राण भी छह या दस हैं। पर्याप्तियां प्राण का संग्रहण करती हैं और हम प्राण का प्रयोग करते हैं। ____ ध्यान करने वाले या अध्यात्म का जीवन जीने वाले व्यक्ति के लिए पर्याप्ति और प्राण को जानना, प्राण का संचयन करना और प्राण का सम्यक् उद्देश्य की पूर्ति के लिए सम्यक् नियोजन करना—इस त्रिवेणी या त्रिपदी का बहुत महत्त्वपूर्ण उपयोग है। इसका उचित उपयोग कर व्यक्ति शांतिपूर्ण लंबा जीवन और आनन्दमय जीवन जी सकता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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