Book Title: Skandakacharya Charitram
Author(s): Shubhvardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 3
________________ MP केनचिद्राज्यकार्येण / प्रेषितो भूभुजान्यदा // राजपर्षदि संप्राप्तः / श्रावस्तीनगरी गतः // 7 // राज्ञोऽन्येयुः सभायां स / पुरोधाः समलाशयः // निनिंद जिनधर्म श्री-कुमारे तत्र शृण्वति // 8 // कुतीर्थिकजनप्रोक्त-हेतुपोतप्रभंजनैः // युक्तैर्वचोभिरेतस्य / स्कंदकः पक्षमच्छिदत् // 9 // अंतःकोपाकुलो दातुं / प्रत्युत्तरमथाऽप्रभुः // बहिः स्मितमुखोऽशंसत् / वचः स्कंदकभाषितं // 10 // कार्यं कृत्वात्र भूपस्य / गते स्थानं पुरोधसि // दध्याविति कुमारेंद्र-स्तत्त्ववित्स्कंदकाभिधः॥ 11 // हार्यते हा प्रमादेन / मानुषं जन्म दुर्लभं // मुधा मयेष्टफलकृत् / दक्षिणावर्तशंखवत् // प्रागल्पसुखदाः. पश्चा-दसंख्यदुःखदायिनः // किंपाकफलवद्भोगा / बुधैर्नित्यममी मताः // 13 // असारं खलु संसारं / तत्परित्यज्य सत्वरं // गृह्णाम्यनंतसुखदं / व्रतं श्रीसुव्रतांतिके // 14 // पुण्यान् मनोरथानेवं / कुमारेऽस्मिन् प्रकुर्वति॥ विहरंस्तां पुरीं प्राप। प्रातः श्रीसुव्रतो जिनः // 15 // क्रीडोद्याने विरचयां-चक्रे संमदमेदुरैः // देवैः समवसरणं / स्वामिनो मुक्तिगामिनः // 16 // अवीवृधन्नृपं गत्वा / सत्वरं वनपालकः // श्रीसुव्रतजिनाधीश-स्यागमेनातिभक्तिमान् // 17 // P.P.AC Gunratnesuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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