Book Title: Skandakacharya Charitram
Author(s): Shubhvardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________ चरित्रं LEEVE // 9 // 2 कथमाचीर्णमाः पाप, घोरं कमेंदशं त्वया // यदताः साधः शुद्धा, मारणाय पुरोधसः // 83 // 2 भूपेनोक्ते रात्रिवृत्ते, जगौ राज्ञी ततो हहा // जिनेंद्रधर्मद्विष्टेन, नरेंद्र च्छलितो भवान् // 84 // जानीहि कपटं सर्व-मिदमेतेन निर्मितं // सुसाधुषु स्वभावेन, मात्सर्य बिभ्रता सदा // 85 // पित्रा प्रदीयमानं स्वं, राज्यं त्यक्त्वा जवेन यः॥जग्राह दीक्षां त्वद्राज्यं, स कथं भूप लास्यति // 86 // धिर धिग् ते शून्यचितवं, धिर धिग् दुर्बलकर्गतां॥ हा कूरादेशदानेन, मुनयो मारितास्त्वया // 87 // किं नाम गृहीतं तस्य, पापिष्टस्य पुरोधसः // अग्निहोत्रे त्वदने यो, दहतिस्म दयागुणान् // 88 // यद्भाव्यं कार्य तज्जातं; बहु किं कथ्यते नृप॥जानीहि ते सराष्ट्रस्या-गादासन्नः क्षयः खलु // 8 // बंधोः श्रीस्कंदकस्याद्य, वधं साधोर्निशम्य यत् // पुरंदरयशा धिर धिग्, जीवेत्तिष्टेच्च धामनि // 90 // शोचंतीमिति तां राज्ञी-मुक्षिप्याहन्मतामरी॥श्रीसुव्रतजिनेंद्रस्य, पार्श्वे क्षिप्रं मुमोच च // 91 // विरक्तचित्ता सा राज्ञी, प्राबाजीदर्हतोंतिके // निवेदस्तु सतां हि स्यात्, केवलं भवमुक्तये // 92 // स्कंदकस्तन्निदानेनो-त्पन्नोऽग्निकुमरे पुनः // सर्वपर्याप्तिसंपूर्णः, स मुहूर्तातरेऽभवत् // 93 // GRAFARGESSE Jun Gun Aaradi s P.P.AC.Gunratnasuri M.S. t

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12