Book Title: Silopadesamala Balavbodh
Author(s): Merusundar Gani, H C Bhayani, R M Shah, Gitaben
Publisher: L D Indology Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 225
________________ गाथा निव-धुआ निय-रूवा नेउरखंडिय - दत्तय नो कामीण सच्च पइ - दिवस दस दस पर पुरिस से विणीओ पर - रमणी - पत्थणाउ पर - रमणी - संगाओ परलोए वि हु पालंति निय-सीलं इज्जति सिवत्थं बंधण- छेपण - ताडण बं भव्वय-धारीणं बहु - महिलासु पसतं मयण-पवणेण जइ मरणे वि दीण वयणं मिय-भासिणी सलड़जा मुह मडुरासु मेहुण-सन्नारूढो रमणी - कडक्ख - विक्खेव रमणीणं रमणीयं रम्माओ रमणीओ रिसिदत्ता दवदंती रूवो हसिय रे जीव समय Jain Education International संख्या ३८ ६६ २४ ३१ ४९ ८९ ९० ४३ २१ ६१ ६८ ९१ ३३ १८ १०३ ८७ २३ ३७ ९५ ९३ ५५ ८१ ७५ १८४ गाथा लच्छी जसं पयावो विभूसा इरिथ विसईण दुक्ख विसमा विसय पिवासा विसयासत्तो वि नरो विस-विसहर - करि वेसा दासी - असई वेसा - दासी - इत्तर संवेगगहियदिक्खो सक्को वि नेय सच्चिय सह त्ति समणी विहु विसय सयलो वि गुणग्गामो सावज्जजोग - वज्जण सासव - सुह - सिरि सिरिमल्लिनेमि सील - कलिएहिं सद्धिं सील - पभाव - पभाविय सील पवित्तस्स सील-भट्ठाणं पुण सीलवर नंदयंती सो जयउ थूलभद्दो हत्थपाय-पडि छिन्नं हरि-हर - चउराणण For Private & Personal Use Only संख्या ३ ६९ ७७ ७३ २२ ५.९ १०० १०१ ३० १७ १०६ ६४ ५८ २९ ९२ ४० ५७ ४५ ९६ ६० ५६ ४१ ७२ २० www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234