Book Title: Silopadesamala Balavbodh
Author(s): Merusundar Gani, H C Bhayani, R M Shah, Gitaben
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 231
________________ पूठउं पूंठ पूर्व पूवु पूर्विलउं पलांनु पेई पेटी पेखणिया पेख करनारा, नाटकिया पोत अंग, पंड पोतड निधार, खजानो पोतरा पौत्र प्रउहंस १२२ दुःखद लागणीनो आवेग प्रगुण कीधउ तैयार कर्यो प्रमाण प्रभाव प्रवाहि, प्रवाहइ सामान्यपणे, नियमे करी प्रहुणागत परोणागत प्रहुस् १५५ दुःखद लगणीन्गे आवेग आववो प्रार्थिक प्रार्थित प्राहइ प्रायः फलहुलि भोजनमां फळफळादि खाद्य फासू प्रासुक फीट् मटवु, नष्ट थं फुरकू फरकवु बगल (फा.) बगल बाई बासु बहिरखु बेरख बंदी खाण बंदिखानुं बंदीवाण बंदीओ बार दीघां बारणां बंध कर्या बांह (स्त्री.) बाहु बिडालउ बिलाडो बिलाई बिलाडी बीहकण बीकण बीहनउ बन्यो बोलवानां बोलबांह स्नेह-सद्भाव, सहाय भउजाई मोजाई भण् कहे भरूअच, भरूअच्छ, भरूयछ भरूच Jain Education International १९० भथाइत भाथावाळो भलइ भले भावइतिहां फावे त्यां, गमे त्यां भावठि पीडा, संकट भांग प्रकार, भंगी मांभलीइ भांभळु थाय भीनां भोनां थयां, भींडयां भुइहरु भय भेटि भेट भोगली कर्म भोगवा माटे उदयमां आवेलु कर्म मउडइ-सिउ धीमे थी मउडी मोडी मजूद (कर) ( फा ) तैयार कर मत संमति (लिखित), मनुं मनसा वांछा मयणद्दल मीढळ मसवाडउ मास महुतउ, मुंहतउ मंत्री महांत मोटुं मंथाणु रवैयो माई मातृका, वर्णमाला माउलउ मामो माछिलउ, माछिली माछलु, माछली मातउ मत्त, मातो मातुल मातलि (इंद्रनो सारथि ) माम (स्त्री.) शाख, आबरू मालाखाडउ मल्ल - अखाडो मास - दीह मासदिवस, एक मास सुधी माहिल मालु, अंदरनुं मित्राचार मैत्री मुस् लुंटवु मुहियां मुधा, व्यर्थ मूधी भोळी, मुग्धा मूर्छा लालसा, स्पृहा मृगयात्रा मृगया मेघ वरसाद For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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