Book Title: Siddhanta Sutra Samanvaya
Author(s): Makkhanlal Shastri, Ramprasad Shastri
Publisher: Vanshilal Gangaram

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Page 198
________________ सोनो जी की पूर्वापर विरुद्ध बातें सत्र मापदका प्रभाव सोनीधी स्वबसाते। पं० पन्नालाल जी सोनी माज अपने लम्बे लेखों में समूचे पटसारखागम सिद्धान्त शास्त्र में केवल भाववेकही कपन बना रहे हैं। न्यवेद का उसमें कहींभी वर्णन नहीं है ऐसा वे बार बार निरहे।। इसी प्रकार वे पालापारिकार में भी केवल भाव काही कथन बताते हैं। भाजपवला सिद्धान सत्र को भाववर विधायक बताते हुये उसमें "संयत" शब्द का होना मावश्यक बता रहे हैं। । परन्तु भाज से केवल कुछ मास पहिले उपयुक्त बातों के सबंधा पिरीत उन बातों को सप्रमाण पुष्टि वे स्वयं कर चुके हैं जिम विधान हम अपने इस लेख में कर रहे है। माश्चर्य इस बात का है कि जिन प्रमाणों से वे भाज भाववेद की पुटिकर रहे हैं, मी प्रमाणों से पाले में व्यवेव की पुष्टि कर चुरे हैं। ऐपी दशा में हम नहीं समझं कि पागम ही बदल गया है या सोनी जीको मविभ्रम हो चुका है। अन्यथा उनके जने में पूर्वापस विरोध एवं स्ववचन बाधितपना किस प्रकार माता ? जो भीहो। यहां पर सोनी जी सनद्धरणों को हम देते है जिन्हें. मोने दिगम्बर जसित पण पुस्तक द्वितीय भाग में

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