Book Title: Siddhanta Sutra Samanvaya
Author(s): Makkhanlal Shastri, Ramprasad Shastri
Publisher: Vanshilal Gangaram

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Page 211
________________ पोषकानो उसे उस समय क्यों नहीं हटाया गया बरस पर भारी मांदोलन उठा था, क्या व महाराज को जानकारी नहीं थी, पीपी तो यह सुधार उसी समय करना थापाको फिर लम्बा काल होने से ऐसी बातें भी नही हो सकती है कि कारण फिर संजद शम को हटाना सर्वथा अशक्य हो जायगा। वैसी अवस्था में प्रोफेसर साहब बहमन्तब्य कि "सिद्धान्त शास्त्र से द्रव्यमी की मुक्ति एवं स्वेताम्बर मत मान्यता अनिवार्य विदोती है" स्थायी हो जायगा। काम चलने के प्रलोभन से एक सिद्धांव-विमरीव पाव परमपागम में लम्बे समय तक रहने दो बाय यह भी वो ठीक नहीं है। चाहे काम हो चाहे वह रुक जाय पर विज्ञान विषय पर मूबसूत्र म तुरंत हटा देना होन्यायोचित एवं प्रथम कर्तव्य है। हमारी दो ऐसी समझ है। हमारे संयुक हेतुषों एवं सम्मावि बातों पर महाराज भ्यान देंगे ऐसी हमारी नम्र प्रार्थना है। त्रम चलने के सम्बन्ध में हमारा यह कहना है कि वर्तमान में बिस रूप में बम परीवह बराबर खवा ऐगा ऐसी माशा है। यदि त्रिशुणिव भमकता देने पर भी अब सुपारमासे चमक बावगा तो फिर मी महाराव पादेश एवं उनको परमागम रक्षा की सदिच्छा से होने वाले इस पवित्र वर्ष अहोई बाधा नहीं पा सकेगी। प्रत्युत निसारिसे पिता मी बम फल दिवे इस स्तुत्य परमार्थ जो करने वाले भी अमेशिन तैयार होवांयगे, महागबजेषापासमिय

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