Book Title: Siddha Hemchandra Dhatupath
Author(s): Hitvardhanvijay
Publisher: Kusum Amrut Trust
View full book text
________________
(वंशस्थवृत्तम्)
जिनेशागमोक्तेः परं सुप्रचारः,
कृतो येन यावज्जीवं सत्प्रसारः । मतेः प्रौढिमा यस्य वृत्तस्य सारः, सूरिरामचन्द्राय नित्यं नमस्ते.
यदुक्तं जिनैस्तत्र श्रद्धां विधायी, अनुसृत्य धर्मोपदेशं प्रदायी । अहो ! सत्यगाण्डिवटङ्कारकारी, अहो ! रामचन्द्रप्रभुः सौख्यकारी
॥९॥
॥१०॥
( मन्दाक्रान्ता)
शब्दे शब्दे लसितकरुणा भारती सुप्रसन्ना, श्वासे श्वासे रचितसदना यस्य शुद्धा जिनाज्ञा । पादे पादे स्फुरितशरीरा दृश्यते यत्र लक्ष्मीः, जीयान्नित्यं ‘हित'मयमतिः सूरीशो रामचन्द्रः. ॥११॥

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 200