________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भगवान महावीर जन्मस्थल के विविध उल्लेख
डॉ. राजश्रीबेन भगवान महावीर का सम्पूर्ण जीवन-चरित व्यवस्थित रूप में जैनों के प्राचीनतम प्राकृत साहित्य अंग नामक आगम साहित्य में उपलब्ध नहीं है। उनके जीवन संबंधी कतिपय घटनाओं के उल्लेख या वर्णन आचारांग, भगवतीसूत्र, स्थानांग, समवायांग आदि में मिलते हैं।
आचार्य भद्रबाहु विरचित कल्पसूत्र (जिन चरित) ही प्रथम ग्रन्थ है, जिसमें भगवान महावीर का जीवन-चरित व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया गया है। परन्तु इस ग्रन्थ में उनका जीवन चरित बहुत संक्षिप्त रूप में उनके पाँच कल्याणकों को दृष्टि में रखकर दिया गया है। तत्पश्चात् आवश्यकनियुक्ति और आवश्यकभाष्य में भगवान महावीर के जीवन संबंधी सभी घटनाओं का उल्लेख व्यवस्थित रूप से हुआ है, परंतु इन ग्रन्थों में वर्णन की कमी है।
___ आवश्यक चर्णि में इन घटनाओं का वर्णन विस्तृत और व्यवस्थित निरूपण हमारे सामने उपस्थित करता है। इसके बाद तो प्राकृत और संस्कृत भाषा में अनेक पुराणों और चरितों में त्रिषष्टि पुरुषों के साथ अथवा स्वतंत्र रूप में भगवान महावीर का जीवन चरित विस्तृत और व्यवस्थित रूप में निरूपित किया गया है। ___ यहाँ पर प्राचीन और मध्यकालीन मुख्य मुख्य ग्रन्थों में भगवान महावीर के जन्म स्थल के जो जो नाम उपलब्ध हैं उन पर व उनका जिस जिस तरह से उल्लेख हुआ है उन पर प्रकाश डाला गया है।
प्रथम अंग आचारांग का प्रथम श्रुतस्कंध आगम साहित्य में ही नही अपितु अंग साहित्य में भी सबसे प्राचीन माना गया है। उस स्कन्ध के नवें अध्ययन उवहाण सुय (उपधान सूत्र) में भगवान महावीर की कठोर तपश्चर्या का वर्णन है परंतु महावीर के गाम स्थल के बारे में कोई निर्देश नहीं है।
द्वितीय श्रुतस्कंध में भावना नामक तृतीय चूलिका में महावीर का अति संक्षिप्त चरित उपलब्ध है। उसके अनुसार महावीर ने 'कुंडलपुर संनिवेश' में
For Private and Personal Use Only