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SHRUTSAGAR
January-2016 कौन-कौन सी टीकाएँ, अनुवाद, विवेचन आदि हैं, यह हमें जानना है और वह कृति प्रकाशित है या अप्रकाशित यह भी बताने का कष्ट करें.
इस प्रकार की शोध करने की भी दो पद्धतियाँ हैं-पहली पद्धति से लायब्रेरी प्रोग्राम के कृति वाले फॉर्म पर जाकर उस कृति का नाम लिखकर शोध करेंगे तो उस नाम की सभी कृतियाँ टीका अनुवादादि पुत्र कृतियों के साथ कम्प्यूटर स्क्रीन पर आ जाएँगी. उन कृति नामों के नीचे वाले फिल्ड में बहुत सारे टैब होते हैं, जिनमें मुख्य रूप से तीन टैब हैं- प्रकाशन, हस्तप्रत तथा मैगेजिन-अंक.
वह कृति यदि प्रकाशित हो तो नीचे प्रकाशनवाले टैब पर माउस के द्वारा क्लिक करने से वह कति जिन-जिन प्रकाशनों में, जिन-जिन पृष्ठों पर उपलब्ध हो, उसकी विस्तृत सूची देखने को मिलती है. वह कृति यदि किसी अंक में प्रकाशित हो तो मैगेजिन-अंक वाले टैब पर माउस से क्लिक करने से वह कृति जिन-जिन अंकों में जिन-जिन पृष्ठों पर उपलब्ध हो, उसकी विस्तृत सूची देखने को मिलती है. यदि वहाँ भी कृति न मिले तो उसे अप्रगट कह सकते हैं. ___ वह कृति यदि अप्रकाशित है तो हस्तप्रत वाले टैब पर माउस से क्लिक करने से वह कति जिन-जिन हस्तप्रतों में, जिन-जिन पृष्ठों पर उपलब्ध हो, उसकी विस्तृत सूची पेटांक के साथ देखने को मिलती है.
दूसरी पद्धति है, प्रकाशन के शोधप्रपत्र में मात्र कृति का नाम टाईप करके शोध करने से उस कृति और उसकी पुत्रकृतियों से सम्बन्धित सारे प्रकाशनों की विस्तृत सूची देखने को मिलती है, इसके अतिरिक्त उससे सम्बन्धित पुस्तकों की सभी नकलों की सारी सूचनाएँ भी देखने को मिलती हैं. __इसी प्रकार हस्तप्रत के शोधप्रपत्र में मात्र कृति का नाम टाईप करके शोध करने से वह कृति जिन-जिन हस्तप्रतों में जिन-जिन पृष्ठों पर उपलब्ध हो, उसकी विस्तृत सूची उसके पेटांक सहित देखने को मिलती है, जिसके अन्तर्गत वह कृति उस हस्तप्रत या पेटांक में सम्पूर्ण है या अपूर्ण? वह कृति किस पृष्ठ पर है? आदि सूचनाओं के साथ देखने को मिलती है.
इसी प्रकार मैगेजिन-अंक के शोधप्रपत्र में मात्र कृतिनाम टाईप करके शोध करने से जिस बाईन्ड के जिस अंक में प्रकाशित होगी, वह पेटांक संख्या व पृष्ठ संख्या के साथ देखने को मिलेगी.
(क्रमशः)
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