Book Title: Shraman Bhagvana Mahavira
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 440
________________ विहारस्थल-नाम-कोष ३८३ पृष्ठचम्पा चम्पा से पश्चिम में थी । राजगृह से चम्पा जाते पृष्ठचंपा लगभग बीच में पड़ती थी ।। पेढाल उद्यान—बहुम्लेच्छा दृढ़भूमि के बाहर पेढाल उद्यान था, जहाँ से पेढालगाम निकट था । इस उद्यान के पोलास चैत्य में महावीर ने निर्निमेष दृष्टि से ध्यान किया था और आप के इस एकाग्रतापूर्ण ध्यान की इन्द्र ने प्रशंसा की थी। यह पेढाल उद्यान और पोलास चैत्य दृढ़भूमि के पास थे । पेढालग्राम-यह ग्राम पेढाल उद्यान के पास था । इन्द्र की बात को असत्य ठहराने के भाव से संगमक देव ने इसी गाँव के बाहर उपर्युक्त उद्यान में महावीर को ध्यान से चलित करने के लिये नानाविध उपाय किये थे । यह पेढालगाँव गोडवाना में कहीं होना चाहिये । पोतनपुर-अस्मक देश की राजधानी । यहाँ के राजा प्रसन्नचंद्र ने भगवान् महावीर के पास दीक्षा ली थी । चरित्रकारों के मत से महावीर ने पोतनपुर तक विहार किया था । बौद्ध ग्रन्थों में इसका नाम पोतली लिखा है । यह स्थान गोदावरी ने उत्तर तट पर अवस्थित था । सातवाहन की राजधानी प्रतिष्ठान और आजकल का पैठन, ये पोतनपुर के उत्तरकालीन नाम हैं। पोलास चैत्य-पेढाल उद्यान का वह चैत्य जहाँ पर संगमक देव ने महावीर को उपसर्ग किये थे । पोलासपुर-इसके बाहर सहस्राम्रवन उद्यान था । तत्कालीन राजा का नाम जितशत्रु था । आजीवकोपासक से श्रमणोपासक बननेवाला सद्दालपुत्र यहीं का रहनेवाला था । पोलासपुर (२)-इस पोलासपुर के बाहर श्रीवन उद्यान था । यहाँ के राजा का नाम विजय था । राजा विजय और श्रीदेवी के पुत्र अतिमुक्तक राजकुमार ने बाल्यावस्था में श्रीमहावीर के हाथ श्रमणधर्म की दीक्षा ली थी । उक्त पोलासपुर वास्तव में दो थे या एक, यह निश्चित रूप से कहना कठिन है । उद्यान और राजा के नाम भिन्न होने से हमने दो लिखे हैं । एक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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