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प्रकाशकीय पंजाब केशरी परमपूज्य श्री सोहनलाल जी महाराज की पुण्यस्मृति में स्थापित पार्श्वनाथ विद्याश्रम (अब पार्श्वनाथ विद्यापीठ) और इसके मुखपत्र श्रमण द्वारा जैन विद्या के विविध पक्षों के अध्ययन, प्रचार-प्रसार और शोध के क्षेत्र में अब तक किये गये योगदान से सम्पूर्ण विद्वद्जगत् सुपरिचित है । विद्याश्रम के शैक्षणिक और शोधात्मक ग. विधियों को समाज के सम्मुख रखने के उद्देश्य से पं0 कृष्णचन्द्राचार्य के सम्पादकत्व में नवम्बर 1949 ई0 से श्रमण का मासिक पत्रिका के रूप में प्रकाशन प्रारम्भ हुआ । संस्थान के प्रथम मंत्री और मेरे पूज्य पिता स्वनामधन्य स्वर्गीय लाला हरजसराय जैन के अदम्य उत्साह एवं सत्प्रयासों से यह पत्रिका अल्पावधि में ही सम्पूर्ण जैन समाज में लोकप्रिय हो गयी । इसका प्रत्यक्ष लाभ यह हुआ कि समाज का एक बड़ा वर्ग इससे जुड़ गया और संस्थान की चतुर्दिक उन्नति में सहभागी बना ।
पिछले 49 वर्षों से निरन्तर प्रकाशित होने वाली इस पत्रिका में अब तक जैनविद्या के लब्धप्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा जैन धर्म-दर्शन, साहित्य, कला, पुरातत्त्व एवं अन्य विविध विषयों पर लिखे गये शोधपरक लेखों का ऐसा विशाल संग्रह एकत्र हो चुका है जो अन्यत्र अनुपलब्ध है । लम्बे समय से श्रमण के सम्माननीय पाठकों और शोधछात्रों दोनों की माँग थी कि श्रमण में अब तक प्रकाशित लेखों की एक सूची का प्रकाशन हो, ताकि प्रत्येक वर्ग के पाठक अपने-अपने इच्छित विषयों के बारे में विद्वानों द्वारा पूर्व में लिखे गये लेखों से लाभान्वित हो सकें । हमें इस बात का अत्यन्त हर्ष है कि प्रो0 सागरमल जैन के सुयोग्य निर्देशन में संस्थान के प्रवक्ता डॉ० शिवप्रसाद, डॉ0 विजयकुमार जैन, डॉ० सुधा जैन और डॉ० असीमकुमार मिश्र ने इस कार्य को सफलतापूर्वक पूर्ण किया है।
इस सूची के सम्पादन, प्रूफ संशोधन और प्रकाशन व्यवस्था का पूर्ण दायित्व डॉ० शिवप्रसाद ने वहन किया है, एतदर्थ वे धन्यवाद के पात्र हैं ।
उत्तम अक्षर संयोजन के लिये राजेश कम्प्यूटर्स एवं मुद्रण के लिये डिवाइन प्रिण्टर्स, वाराणसी के भी हम आभारी हैं ।
भूपेन्द्रनाथ जैन
सचिव पार्श्वनाथ विद्यापीठ
वाराणसी
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