Book Title: Shilopadesh Mala Author(s): Harishankar Kalidas Shastri Publisher: Jain Vidyashala View full book textPage 9
________________ श्रीगणधरेन्यो नमः श्री शीलोपदेशमाखा. मूल, शब्दार्थ, विशेषार्थ अने कथान सहित प्रारंनः शहां ग्रंथनी टीका करनार श्रीधजयदेवसूरि सात श्लोकवडे मंगलाचरण करे . ___(वसंततिलका वृत्तम् ) यस्योपदेशसमये दशनांशुमिश्राः, स्कंधोपरि प्रसृमराश्चिकुरप्ररोदाः॥ कल्याणपात्रदधिसंवलितोरुदूर्वा लीलां दधुः स कुशलाय युगादिदेवः॥१॥ अर्थ-देशनाने समये दंतकांतिथी मिश्र थएला अने खजा उपर प्रसरता जेमनां अंकुर सरखा केश, सुवर्णपात्रमा दहिंथी मिश्रित एवी बहु दूर्वानी समान शोजता हता, ते श्री युगादिदेव (रुषजदेव जगवान) कल्याणने अर्थे था.॥१॥ (उपजाति वृत्तम् ) श्रिये स शांतिर्मगलांगनःसन, युक्तं दधानः कुमुदां विकाशम् ॥ योऽनूद्भवानीदितनावमाप्य, शिवोत्तमांगं स्थिरनासुरश्रीः॥२॥ अर्थ-चंडमा जेम मृगलांबन पामीने कुमुदोने ( चंडविकाशी कमलोने ) प्रफुल्लित करे , तेम जे जगवान मृगलांबन पामीने कुमुदोने (पृथ्वी उपर रहेला माणसोने) हर्ष उत्पन्न करे . ए युक्तज बे. तेमज प्रसिफ चंजमा जेम पार्वतीने हितकारी एवा शंकरना मस्तके आश्रय पामीने स्थिर तथा देदीप्यमान शोजाने पाम्यो, तेम जे जगवानPage Navigation
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