Book Title: Shilki Nav Badh
Author(s): Shreechand Rampuriya, 
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

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Page 267
________________ कथा-२६ आचार्य मंगू [इसका सम्बन्ध ढाल ७ गाथा १० (पृ०४७) के साथ है ] एक समय मंगू नामक आचार्य मथुरा नगर में पधारे। वहाँ के श्रावक धर्मनिष्ठ एवं मुनियों के प्रति अगाध श्रद्धालु थे। आचार्य मंगू पूर्ण विद्वान थे। उनकी वाणी में सरस्वती निवास करती थी। वे आचार-विचार में सब तरह से उच्च थे। उन्होंने वहीं रहकर अध्ययन, पठन-पाठन शुरू कर दिया। आचार्य के आचार और व्यवहार से श्रावकगण अत्यन्त प्रभावित थे। वे भक्तिवश उनकी भरपूर सेवा करते और उन्हें नित्य सरस आहार तथा विविध प्रकार के पकवान दिया करते थे। आचार्य मंगू की रस-गृद्धि बढ़ गई। वे सोचने लगे "अगर मैं अन्य छोटे बड़े गांवों में विचरण करूँगा, तो ऐसा सरस आहार प्रतिदिन नहीं मिल सकेगा। यहां के श्रावक भी अत्यन्त श्रद्धालु हैं; मेरी अत्यधिक भक्ति करते हैं, अतः मुझे यहीं रहना चाहिए।" ऐसा सोच वे स्थिर भाव से वहीं रहने लगे। गृहस्थों के साथ उनका परिचय और भी गाढ़ा होता गया। नित्य सरस आहार सेवन से उनकी रस-गृद्धि बढ़ने लगी। वे आचार को, यानी पवित्र साधु-जीवन को, भूल गए। साधु की नित्य क्रियाएँ छोड़ दी। उन्हें यह भी अभिमान होने लगा कि मुझे सरस तथा अलभ्य मिष्टान्न रोज मिलते हैं। इस प्रकार वे रस गौरव से युक्त हो गए। अब वे सरस तथा विषय वर्द्धक आहार प्राप्ति के कारण मूलगुणों में दोष लगाने लगे। चिरकाल तक सरस आहार का सेवन कर वे विना आलोचना ही मरकर उसी नगर के यक्षालय में यक्ष बने। यक्ष ने विभंग ज्ञान से पूर्व-भव देखा और बहुत पश्चाताप करने लगा। उसने सोचा, “मेरी स्वादलोलुपता ने ही आज मेरी ऐसी दुर्गति की है।" वह यक्ष जब अपने पूर्वभव के शिष्य थंडिल को जाते हुए देखता तब उसे जिह्वा दिखाता। एक दिन साहस कर शिष्य ने यक्ष से पूछा "तुम अपनी जिह्वा क्यों बाहर निकाल रहे हो ?” यक्ष ने कहा "मैं तुम्हारा आचार्य मंगू हूँ। जिह्वा-स्वाद में पड़कर मेरी ऐसी दुर्गति हुई है। मैंने परमोच्च जिन-धर्म को पाकर भी रस-गृद्धि के कारण उसकी सम्यक आराधना नहीं की। यही मेरी दुर्गति का एकमात्र कारण है। अतः तुम सब भी परमोच्च जिनधर्म को प्राप्त कर स्वाद लंपट मत बनना। अगर तुम लोग भी जिह्वा के स्वादवश पथ-विचलित हुए तो मेरी तरह ही तुम्हारी भी दुर्गति होगी।" इस प्रकार शिष्यों को रस-गृद्धि का दुष्परिणाम बता वह यक्ष अदृश्य हो गया। १-उपदेशमाला के आधार पर Scanned by CamScanner

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