Book Title: Shastravartta Samucchaya Part 9 10 11
Author(s): Haribhadrasuri, Badrinath Shukla
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 16
________________ [ আদা, ঘিয়ামযাদ্ধা . . . .. .. . .. . . ११० १२ विषय गौरव झोर का परिवार कुड्य और अन्धकार में प्रतिबन्धकता का समर्थन प्राप्यकारितापक्ष में पक साथ शाखाचन्द्रग्रहणापत्ति पक आपत्ति का परिहार करने पर अभ्य आपत्ति शाखा-चन्द्र के एक साथ ग्रहण का समर्थन अभाशंश का ग्रहण इन्द्रिय से अभावप्रमाण न मानने पर भी अपेक्षा की उपपत्ति अतिरिक्त अभावप्रमाणयादी को चक्रकदोधापत्ति अधिकरणादि अविषयक इदंत्ररूप से अभावज्ञान का सम्भय वायु में रूपाभावप्रतीति न होन। की आपत्ति करणलक्षण्य के विना अभावग्रहण के चलक्षण्य का असंभव अज्ञातकरण से जन्य अभावज्ञान की अपरोक्षरूपता शातअनुपलब्धि करण होने की संभावना का प्रतिक्षेप अनुपलब्धि का ज्ञान अनुमान से-अन्यमत अन्यदीयमन में अमचि का बीज १०४ अधिकरणविशिष्ट अभाव के ज्ञान की अनुपपत्ति सर्वेश विरोधी प्रसंगसाधन का निरसन १०६ यात्राप्यतिशयो...का निरसन १८७ योगिप्रत्यक्ष में मन करण नहीं होता १०८ विषय योगजधर्मसहकृत नेत्र से योगिसाक्षात्कार की सम्भावना धर्म-अधर्मादि ग्राहक सर्वशज्ञान का उपपादन आगम सीर्फ शदात्मक ही नहीं है १११ मर्वज्ञ में कामादि विकार की आपत्ति का निरसन सर्वशविरोधी की अनेक पूर्धपक्षयुक्तियों का निरसन गृहीतग्राहित्य अप्रामाण्यप्रयोजक नहीं है ११३ लक्षण में यथार्थत्वादि के प्रवेश से दोषपरिहार अशक्य शान में ज्ञानविषयता का नियमन स्वभाव से परकीपरागादि के साक्षात्कार से कोई आपत्ति नहीं है सर्वज्ञज्ञान प्रान्त हो जाने की आपत्ति निग्यकाश समानकाल में उत्पाडव्यय के व्यवहार की आपत्ति का परिहार ११६ सर्वज्ञ के बिना भी सर्व का ज्ञान शक्य घचनप्रयोग से समाधि का भंग नहीं होता दृष्टकारण विघात की आपत्ति का निरसन निरक्षरभगवदभाषायादी दिगंबरमत का परिहार गगादिदोष में आवारकत्य का उपपादन अभ्यास से परमधाभाय की शंका का परिहार उत्कर्ष अपकर्ष के उक्त नियम के भंग की शंका का परिहार ११६ १६८ ।

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