Book Title: Shastravartta Samucchaya Part 5 6
Author(s): Haribhadrasuri, Badrinath Shukla
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 11
________________ पृष्ठं विषयः पृष्ठं विषयः १७७ समूहालम्बन ज्ञानगत एकत्व संख्यारूप १९३ क्षणिकवाद में अर्थग्रहण की अनुपपत्ति नहीं है-उत्तरपः६५ सर दर्थ पाकल गाइहण करो ? १७८ अनुगतएकत्वकल्पनावत् द्वित्वकल्पना संगति १६५ क्षणिकत्व बोध में मिथ्यात्वसंशय आपत्ति १७८ अवयवरूपों में एकत्वबुद्धि की आपत्ति १९७ क्षणिकत्वबोध के लिये अनुमान असमर्थ ___ अभेदविवक्षा में स्वीकार्य १९० नित्य वस्तु में अर्थक्रिया असंभव नहीं १७९ 'इदमुभयात्मक' इस प्रतीति के अभाव १९९ रानिवृत्ति के लिये क्षणिकत्वोपदेश की आशंका २०० बाह्यपदार्थ संगत्याग के लिये विज्ञानमात्र १८० च्याप्य वृत्ति भनेकरूपोत्पत्तिपक्ष में सर्व का उपदेश रूपोपलम्भापत्ति २०१ बुद्ध का पूर्वोक्त तात्पर्य युक्तियुक्त १८० चित्ररूपप्रत्यक्ष का अपलाप अनुभवविरुद्ध २०१ माध्यमिक के शून्यवाद की मीमांसा १८१ उदयनाचार्य का चित्ररूप प्रत्यक्षोपपत्ति २०२ नित्य पदार्थ में क्रमाक्रम से अत्रियानु. के लिये प्रयास पपत्ति-शून्यबादी १८१ व्यणुक-चतुरणुवा के चित्ररूप प्रत्यक्ष की २०२ उत्पाद-व्यय की असिद्धि से अनित्यता भंग उपपत्ति का प्रयास २०३ लौकिक उत्पाद-व्ययबुद्धि भ्रान्त है १८२ अव्याप्यवृत्ति नीलादि अनेकरूप पक्ष में २०४ माध्यमिक सम्प्रदाय का मतसंक्षेप दोष निवारण का प्रयास २०५ बाधकज्ञान में संवित अनेक प्रकार की १८४ व्याप्यत्ति एकरूपत्रादी स्वतन्त्रमत की बाधकता असिद्ध आशंका २०५ दुष्टकारण जन्यत्व बाध्यताप्रयोजक संभव १८५ स्वतन्त्र मत की समालोचना, चित्ररूप नहीं है का स्वरूपत: एकानेकरूपता २०७ ज्ञानाद्वैत सिद्धि की आपत्ति का निराकरण १८६ चित्ररूप मीमांसा का उपसंहार २०७ निर्मल ज्ञानज्योति एकमात्र सत्ता अनुभव बाह्य १८७ 'अन्त में क्षयदर्शन' चौथे हेतु का परीक्षण । २०६ सर्व धर्मरहित मध्यक्षणरूप सवित् की १८८ नूतन-नूतन उत्पत्ति से नाश का प्रदर्शन बौद्ध परमार्थ सत्ता १८९ अन्तिम नाशदर्शन में बौद्ध के प्राचीन २०६ माध्यमिक के शुन्यबाद की समालोचना ग्रन्थ को सम्मति २१० शून्यवाद में प्रमाण हो या न हो, अर्थ सिद्ध १९० भेदग्रह न होने पर साक्ष्य का अग्रहण २१० प्रमाण के विना तस्वस्थिति अशक्य १५१ भेदग्रह न होने पर भी सादृश्य ग्रह शक्य २११ शून्यतासाधकप्रमाण से इतर वस्तु शून्य है-बौद्ध शंका होने पर वादधम निष्फल १६१ शुक्ति में रजतसादृश्य ज्ञान भेदज्ञानमूलक २११ प्रतिपाद्य और प्रश्नकर्ता का अभ्युपगम नहीं होता २१२ एक ही तत्त्वज्ञानी को अशून्य बताना १६१ बौढमत में अन्त में क्षयदर्शन की अनुपपत्ति युक्ति शून्य है १९१ सादृश्यग्रह दुःशक्य होने से बौद्ध कथन २१३ बाध्यबाधकभाव का अस्वीकार युक्ति शून्य अनुचित २१४ शास्त्रसार्थकता उपपत्ति का माध्यमिक १९२ सहशावरोध से भेदाग्रह की बात तुच्छ । प्रयास व्यर्थ १६३ भेदज्ञान स्वीकारने में अन्वयीज्ञानसिद्धि २१६ शून्यता का प्रतिपादन अनासक्ति के लिये से क्षणिकत्व का भंग * समाप्त

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