Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 19
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ तस्मात् सदालम्बनतः खलाना-मुपेक्षणादक्षतशुद्धपक्षैः। अभङ्गवैराग्यसमृद्धिकल्प-वल्लीविवृद्धौ यतितव्यमार्यैः // 36 // यथेह कालः सुख(ष)मादिरूपः, कल्पद्रुमोत्पत्तिकृदभ्युपेतः। : बुधास्तथाऽस्याः खलु पुद्गलाना-मावर्तमन्त्यं प्रवदन्ति हेतुम्॥ 37 // अस्मिंस्तथाभव्यतया मलस्य, क्षयेण शुद्धः समुदेति धर्मः। यन्नान्यदा जन्तुरवैति हेयेतरादिभावान् हृदये यथास्थान् . ' // 38 // स्थिरान् यथार्थान् भ्रमणक्रियोत्थ-शक्त्या चलान् पश्यति संयुतोऽङ्गी। तथोग्रजन्मभ्रमशक्तियुक्तः, पश्यत्युपादेयतयैवं हेयान् // 39 // तच्छक्तिनाशस्त्विह तत्त्वतः स्यात्, कालानुभाबाच्चरमे विवर्ते / हेत्वन्तरेणोपगतात् कथञ्चि-द्धेतुव्रजो येन मिथोऽनुबद्धः // 40 // प्राहुस्तमेनं मुनयोऽत्र धर्म-तारुण्यकालं खलु चित्ररूपम् / ततोऽवशिष्टं भवबाल्यकाल-माच्छादिताभ्यन्तरभोगरागम् // 41 // उत्पद्यते यस्त्वथ धर्मरागः, क्रमाद् व्यतीते भवबाल्यकाले। तमेव वैराग्यसमृद्धिकल्प-वल्ल्या बुधा बीजमुदाहरन्ति // 42 // प्रवर्धमानाशुभभावधारा-कादम्बिनीध्वंसनचण्डवातः / सद्धर्मरागो गदितो गुणाना-मुत्पत्तिहेतुर्विपदां प्रमाथी // 43 // दृष्ट्वा सदाचारपरान् जनान् या, शुद्धप्रशंसान्विततच्चिकीर्षा / सद्धर्मरागः स हि मोक्षबीजं, न धर्ममात्रप्रणिधानरूपः // 44 // बाह्यान्युदाराणि जिनेन्द्रयात्रा-स्नात्रादिकर्माण्यत एव भक्त्या / बुधैः समालोककलोकबीजा-धानावहत्वादुपबृंहितानि // 45 // अन्ये तु धर्मप्रणिधानमात्रं, बीजं जगुर्यन्न शिवाशयोऽपि / .. घने मलेऽनन्त्यविवर्तगे स्याद्, वाच्यं पुनः किं तदुपायरागे। 46 // धर्मस्य येष्टा विषयस्वरूपा-नुबन्धनिष्ठा त्रिविधा विशुद्धिः / सर्वाऽपि मोक्षार्थमपेक्ष्य साक्षात्परम्पराहेतुतया शुभा सा // 47 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 274