Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 09
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ // 4 // .. श्रीमदुमास्वातिवाचकविरचितः ...॥प्रशमरतिः // नाभेयाद्याः सिद्धार्थराजसूनुचरमाश्चरमदेहाः / पञ्च नव दश च दशविध-धर्मविधिविदो जयन्ति जिनाः // 1 // जिनसिद्धाचार्योपाध्यायान् प्रणिपत्य सर्वसाधूंश्च / प्रशमरतिस्थैर्यार्थं, वक्ष्ये जिनशासनात्किञ्चित् // 2 // यद्यप्यनन्तगमप-र्ययार्थहेतुनयशब्दरत्नाढ्यम् / सर्वज्ञशासनपुरं, प्रवेष्टुमबहुश्रुतैर्दुःखम् // 3 // श्रुतबुद्धिविभवपरिहीणक स्तथाप्यहमशक्तिमविचिन्त्य / द्रमक इवावयवोञ्छक - मन्वेष्टुं तत्प्रवेशेप्सुः बहुभिर्जिनवचनार्णवपारगतैः कविवृषैर्महामतिभिः / पूर्वमनेकाः प्रथिताः प्रशमजननशास्त्रपद्धतयः // 5 // ताभ्यो विसृताः श्रुतवाक् -पुलाकिकाः प्रवचनाश्रिताः काश्चित् / / पारम्पर्यादुच्छेषिकाः कृपणकेन संहृत्य / तद्भक्तिबलार्पितया, मयाप्यविमलाल्पया स्वमतिशक्त्या / प्रशमेष्टतयानुसृता, विरागमार्गकपदिके यम् यद्यप्यवगीतार्था, न वा कठोरप्रकृष्टभावार्था / सद्भिस्तथापि मय्यनु-कम्पैकरसैरनुग्राह्या कोऽत्र निमित्तं वक्ष्यति, निसर्गमतिसुनिपुणोऽपि वाद्यन्यत् / दोषमलिनेऽपि सन्तो, यद् गुणसारग्रहणदक्षाः // 9 // सद्भिः सुपरिगृहीतं, यत्किञ्चिदपि प्रकाशतां याति / मलिनोऽपि यथा हरिणः, प्रकाशते पूर्णचन्द्रस्थः // 10 // बालस्य यथा वचनं काहलमपि शोभते पितृसकाशे / तद्वत्सज्जनमध्ये, प्रलपितमपि सिद्धिमुपयाति // 11 // // 7 // // 8 // 1 .

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 330