Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 09
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 13
________________ // 36 // // 37 // // 38 // // 40 // // 41 // प्रकृतिरियमनेकविधा, स्थित्यनुभावप्रदेशतस्तस्याः / तीव्रो मन्दो मध्य इति भवति बन्धोदयविशेषः तत्र प्रदेशबन्धो योगात्तदनुभवनं कषायवशात् / स्थितिपाकविशेषस्तस्य भवति लेश्याविशेषण ताः कृष्णनीलकापोततैजसीपद्मशुक्लनामानः / श्लेष इव वर्णबन्धस्य कर्मबन्धस्थितिविधात्र्यः कर्मोदयाद्भवगतिर्भवगतिमूला शरीरनिर्वृत्तिः / देहादिन्द्रियविषया विषयनिमित्ते च सुखदुःखे दुःखद्विट् सुखलिप्सुर्मोहान्धत्वाददृष्टगुणदोषः / यां यां करोति चेष्टां, तया तया दुःखमादत्ते कलरिभितमधुरगान्धर्वतूर्ययोषिद्विभूषणरवाद्यैः / श्रोतावबद्धहृदयो, हरिण इव विनाशमुपयाति गतिविभ्रमेङ्गिताकारहास्यलीलाकटाक्षविक्षिप्तः / रूपावेशितचक्षुः शलभ इव विपद्यते विवशः स्नानाङ्गरागवर्तिक-वर्णकधूपाधिवासपटवासैः / .. गन्धभ्रमितमनस्को, मधुकर इव नाशमुपयाति . मिष्टान्नपानमांसौ-दनादिमधुररसविषयगृद्धात्मा / गलयन्त्रपाशबद्धो, मीन इव विनाशमुपयाति शयनासनसम्बाधन-सुरतस्नानानुलेपनासक्तः / स्पर्शव्याकुलितमति-गजेन्द्र इव बध्यते मूढः एवमनेके दोषाः, प्रणष्टशिष्टेष्टदृष्टिचेष्टानाम् / दुर्नियमितेन्द्रियाणां, भवन्ति बाधाकरा बहुशः एकैकविषयसङ्गाद् रागद्वेषातुरा विनष्टास्ते / किं पुनरनियमितात्मा, जीवः पञ्चेन्द्रियवशातः / // 42 // // 43 // // 44 // // 45 // // 46 // // 47 //

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