Book Title: Shashti Shatak Prakaranam
Author(s): Manvijay
Publisher: Satyavijay Jain Granthmala

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अशुडम्. परमात तमस वर्द्धतां संशयः तृणावलीम् गु गन्थ चागौर प्रतिहार्य पङ्क जनिः साऽन्यदा शुरुम. परमात् नमस बर्द्धतां पृष्ठ. पंक्ति, पानु. १ ४ १ २ १ १ * २ १ संशयतृणावली २ ३ गुरुं ग्रन्थ च गौर प्रातिहार्य प ऽजनि सोऽन्यदा ॥ अथ शुद्धिपत्रम् ॥ www.kobatirth.org १ १ ગ્ २ ६ २ ३ ३ ४ ૨૨ २ २ १३ २ २ ३ २ ४ २ ४ अशुद्धम मनाज्ञेऽप्येकान्त पुरोद्घाटे नदर्श त्यक्तवान्य मीता नायकत्व अचिन्तयामासि तीषितान् मध्ये जीवोsपि हउ समयए कयवय For Private and Personal Use Only शुद्धम् पृष्ठ पंक्ति पानु मनोज्ञोऽप्यकान्त २ १५ पुरोद्घाटनदर्श २ १२ त्यक्तान्य प्रीता मध्ये जीवोsपि हओ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १ ४ २ ५ समपए कश्वय नाशकत्व चिन्तयामासि तोषितात् १ ४ १२ २ ११ १० २ ६ ११ १ ९ १२ २ ७ १४ ७ ८ ८ १ ३ १६ २ १३ १८ २ १३ १८

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